आजादी के जश्न में अगली कक्षा में पहुंचा दिए गए थे विद्यार्थी
आजादी की वह सुबह अपनी पूर्व की कई हजार रातों के बाद होने वाले उजाले से एक दम जुदा थी।
बदायूं : आजादी की वह सुबह अपनी पूर्व की कई हजार रातों के बाद होने वाले उजाले से एक दम जुदा थी। नई स्फूर्ति, स्वतंत्र और स्वच्छंद। उस दिन के गवाह रहे लोगों के जेहन में आज भी वह लम्हे कैद हैं। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट आरपी शर्मा के शब्दों में कहें तो होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस, लोहड़ी, बैसाखी सभी पर्व मानों उसी दिन हो। इसी खुशी में स्कूली बच्चों को बिना परीक्षा के ही एक कक्षा आगे पहुंचा दिया गया था।
पिता के साथ शामिल हुए थे जश्न में
यादों के पिटारे से आरपी शर्मा ने वह पल साझा किए। उन्होंने बताया कि पिता के साथ उस दिन जश्न में शामिल हुए थे। स्कूल, अस्पताल और चौराहों पर पांच-पांच तरह की मिठाइयां बंटी थीं। तब वह पांचवीं कक्षा में थे। रातोंरात अगली कक्षा में पहुंचा दिया गया था, लेकिन पिता और तब के गुरुजनों ने शिक्षा का मूल्य और महत्व कम नहीं होने दिया। इसी शिक्षा के बल पर सेना में अधिकारी बने। 1962 में चीन, 1965 और 1971 में पाकिस्तान से हुई जंग में दुश्मनों के दांत खट्टे किए। बहादुरी को जब सम्मान मिला तो सीना चौड़ा हो गया। 1990 सेना से रिटायर लेफ्टिनेंट अब भूतपूर्व सैनिकों की समस्याओं के लिए सक्रिय हैं तो युवाओं को सेना के लिए प्रेरित करते हैं।