मुर्दो की उपस्थिति लगा रही थी बदायूं पुलिस
आत्मा भी ट्रैवल करती है। आती है, जाती है। नौकरी, मजदूरी भी करती है।
बदायूं : आत्मा भी ट्रैवल करती है। आती है, जाती है। नौकरी, मजदूरी भी करती है। यह किसी हॉरर फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं पुलिस की कार्यशैली की तस्वीर है, जो आमजन के साथ वारदात होने पर सोती है और मुर्दो की निगरानी करती है। सालों से कागजों पर यह खेल खेल रही पुलिस का कारनामा उजागर हुआ एसएसपी के रियलिटी चेक में। जिले भर में हिस्ट्रीशीटरों का सत्यापन कराया तो 109 ऐसे नाम निकले जो दिन, हफ्ते, महीने नहीं सालों पहले दुनिया छोड़ चुके थे।
ऐसे खुली पोल
पिछले दिनों एसएसपी ने जिले भर में घोषित हिस्ट्रीशीटरों पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए थे। हर थाने से उनके हिस्ट्रीशीटर, उनकी वर्तमान स्थिति, आय का जरिया आदि का सत्यापन कराया। जिले में कुल 2230 हिस्ट्रीशीटर हैं। सत्यापन ने उसी पुलिस की कारगुजारी की कलई खोल दी, जो कड़ी निगरानी के दावे करती थी। पता चला कि 109 हिस्ट्रीशीटर की सालों पहले मौत हो चुकी थी।
सबसे ज्यादा ढीली अलापुर पुलिस
रियलिटी चेक में सबसे खराब स्थिति अलापुर थाने की निकली। हिस्ट्रीशीटर मरते चले गए, थाना प्रभारी को खबर ही नहीं थी। 18 हिस्ट्रीशीटर दिवंगत निकले। बिल्सी और दातागंज में 13-13 तो बिसौली में 12 हिस्ट्रीशीटर पुलिस के रिकॉर्ड में जिंदा थे।
थाना वार स्थिति
मूसाझाग : 9
सिविल लाइंस : 6
वजीरगंज : 6
उघैती : 6
इस्लामनगर : 6
फैजगंज बेहटा : 5
उझानी : 4
बिनावर : 3
उसावां, मुजरिया, जरीफनगर : 2-2
कुंवरगांव, कादरचौक : 1-1 10 साल पहले मर चुके थे चार हिस्ट्रीशीटर
अभियान ने चौंकाने वाली हकीकत उजागर की। चार हिस्ट्रीशीटरों के घर पर जब पुलिस पहुंची तो पता चला कि उनकी मौत हुए 10 वर्ष से अधिक बीत गए। 28 की मौत पांच साल पहले हो चुकी और 77 ऐसे थे जो बीते पांच वर्षो के दरम्यान दुनिया से रुखसत हुए। बड़ी वारदात तो छोड़िए चुनाव, साम्प्रदायिक तनाव, बड़े त्योहारों तक में कागजों पर ही हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी करती रही। कई अधिकारी आए और चले गए। किसी ने थानों की यह कारस्तानी नहीं पकड़ी। वर्जन...
कराएंगे विभागीय जांच
हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी में भारी लापरवाही हो रही थी। जिन थाना प्रभारियों के यहां खानापूरी कर मृत लोगों की निगरानी का मामला उजागर हुआ है उनके खिलाफ विभागीय जांच होगी। मूल जिम्मेदारी बीट के सिपाही की है, जो फील्ड में जाने के बजाय थाने में बैठकर ही रिपोर्ट देते रहे थे।
अशोक कुमार, एसएसपी