एनाफिलीज मच्छर के कारण हुई बेहिसाब मौतें
लखनऊ की प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट ने जिले में हुई बेहिसाब मौतों के रहस्य से पर्दा उठ गया।
बदायूं : लखनऊ की प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट ने जिले में हुई बेहिसाब मौतों के रहस्य से पर्दा उठा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, जिले में पनपी एनाफिलीज प्रजाति के मच्छरों की फौज ने प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पैरासाइट का ऐसा संक्रमण फैलाया कि लोग फाल्सीपेरम मलेरिया का शिकार होते चले गए। इसकी चपेट में आने वाले लोगों की जीवनलीला दो से तीन दिन में ही खत्म हो गई। यही नहीं, मलेरिया जनित साधारण क्यूलिक मच्छर भी जिले के कई गांवों में मिले हैं। ऐसे में अब इलाज के साथ एंटीलार्वा का छिड़काव करने के साथ मच्छरमार दवा ही इस महामारी को खत्म कर सकती है।
जिले में शुरू हुए मौतों के सिलसिले पर अंकुश लगाने में भले ही स्थानीय स्वास्थ्य विभाग नाकाम हो गया हो, लेकिन शासन की टीम ने यहां पहुंचने के बाद इसके पीछे का कारण जानने पर विशेष काम किया। टीम में आए जेडी डॉ. विकास ¨सघल और मेडिकल ऑफिसर डॉ. अभिषेक मिश्रा ने इस महामारी के जड़ से खात्मे की रणनीति बनाना शुरू कर दी। इसके तहत गांव में मौजूद हैंडपंपों के पानी के सैंपल, बुखार ग्रसित मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए। हालांकि, इससे कोई ऐसा क्लू नहीं मिला जो बीमारी की वजह तक पहुंचा सके। इस पर इन अधिकारियों ने गांवों में इलाज के साथ चोक नाले-नालियां और ट्यूबवेल की कुंडियां खंगालना शुरू कीं। यहां मिले मच्छरों को पकड़कर उन्हें जांच के लिए लखनऊ भेज दिया। टीम का यह प्रयोग सफल रहा। लखनऊ से रिपोर्ट आई तो पता लगा कि बीमारी की मुख्य वजह गंदगी के कारण ठहरे हुए पानी में पनपे एनाफिलीज मच्छर हैं। जिनके कारण क्षेत्र में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी का संक्रमण फैला हुआ है। इससे लोग फाल्सीपेरम मलेरिया की चपेट में आ रहे हैं। बेहद खतरनाक है फाल्सीपेरम
मलेरिया का प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी काफी खतरनाक है। यह दिमागी मलेरिया कहलाता है, जिसमें खून का पानी बन जाता है। इसमें मरीज को सिरदर्द, चिड़चिड़ापन व उल्टी आने के लक्षण होते हैं। समय पर इलाज शुरू होने पर यह जानलेवा नहीं है। इससे बचाव के लिए जलभराव नहीं होने दें, बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं, जमे पानी में मिट्टंी का तेल, लार्वा नाशक दवा डालें। गांवों में गोबर वाले स्थानों व पशुओं के बैठने वाले स्थानों पर मच्छर पनप रहे हैं। वीडीओ से गांवों में गढ्डे भरवाने, पानी जमा नहीं होने देने को कहा गया है। अब नई दिशा में काम शुरू
रिपोर्ट आने के बाद अब टीम ने नई दिशा में काम शुरू कर दिया है। अब फाल्सीपेरम मलेरिया के मरीज जहां भी मिलते हैं, उनके घरों समेत आसपास इलाके के घरों और वहां ठहरे हुए पानी में फा¨गग कराई जा रही है। उस जगह को साफ किया जा रहा है ताकि न पानी ठहरे और न ही इस प्रजाति के मच्छरों को पनपने की जगह मिल सके। टीम का मानना है कि मरीजों को तो ठीक किया ही जा रहा है लेकिन अन्य लोग इस जानलेवा बुखार की चपेट में न आएं, इसके लिए मच्छरों का खात्मा भी जरूरी है। वर्जन :
जिले में एनाफिलीज मच्छर मिले हैं। उन्हीं से मलेरिया का प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी फैलता है। हालांकि अब एंटीलार्वा का लगातार छिड़काव बुखार ग्रसित गांवों में चल रहा है। उम्मीद है कि इस पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा।
-डॉ. मंजीत ¨सह, प्रभारी सीएमओ