स्टेशन पर घुमंतुओं का बसेरा, जीआरपी बेफिक्र
सर्दी की दस्तक बदन में ठिठुरन पैदा करने लगी। रात खुले आकाश तले बिताना कठिन होने लगा है।
बदायूं : सर्दी की दस्तक बदन में ठिठुरन पैदा करने लगी। रात खुले आकाश तले बिताना कठिन हुआ तो घुमंतू और बेघर लोग स्टेशन परिसर और आसपास डेरा जमाने लगे हैं। न तो इनकी चेकिंग की जा रही और न ही इनका ब्योरा अब तक जीआरपी ने जुटाया। बेघरों की आड़ में किसी अपराधी के छिपने की आशंका भी रहती है, लेकिन जीआरपी इस सबसे बेफिक्र है।
रेलवे स्टेशन परिसर और आसपास निगरानी, सुरक्षा व्यवस्था राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की जिम्मेदारी है। वहीं, रेलवे संपत्ति की चोरी, उससे होने वाली वारदात या घटना की छानबीन आरपीएफ करती है। अलाव की व्यवस्था और सामाजिक संगठन, प्रशासन की तरफ से कंबल, गर्म कपड़े वितरण की वजह से सर्दियों में अक्सर बेघर लोग आसरे के लिए स्टेशन का रुख करते हैं। चेकिंग अभियान चलाकर इनकी पहचान करना, नाम-पते की सूची, आइडी आदि का विवरण जुटाना जीआरपी का काम है।
अपराध पर लगाम में मददगार होता है ब्योरा
नाम, पते के साथ ही संदिग्ध लोगों के ¨फगर ¨प्रट भी सुरक्षित रखे जाते हैं। ताकि, स्टेशन परिसर या शहर में कोई बड़ी वारदात होने पर संदिग्धों का मिलान किया जा सके। इस वर्ष अब तक कोई कदम ही नहीं उठाया गया। वर्जन
स्टेशन परिसर में घूमने वाले भिखारियों और विक्षिप्त लोगों का रिकॉर्ड रजिस्टर में रखा जाता है। इनकी निगरानी भी की जाती है। अब तक कितने लोग दर्ज हैं, यह जानकारी में नहीं हैं। जल्द ही अभियान चलाकर खानाबदोश और संदिग्धों की छानबीन कर ब्योरा जुटाएंगे।
परीक्षित शर्मा, एसओ जीआरपी वर्जन
सभी थानेदारों को घुमंतुओं को न टिकने देने का निर्देश दिए हैं। जीआरपी ने यह रिकॉर्ड नहीं रखा है तो यह गंभीर बात है। घुमंतुओं के डेरे नहीं लगने दिए जाएंगे, क्योंकि आपराधिक तत्वों के भी इनमें छिपने की आशंका रहती है।
जितेंद्र श्रीवास्तव, एसपी सिटी