बदायूं महिला अस्पताल भी BRD मेडिकल कॉलेज की दहलीज पर, 50 दिन में 32 बच्चों ने दम तोड़ा
बदायूं महिला अस्पताल में बीते 50 दिन में महिला जिला अस्पताल की विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में 32 बच्चों की जान चली गई है।
बदायूं, जेएनएन। बरसात में डायरिया तथा बीमारी के कारण बदायूं महिला अस्पताल भी गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज की तरह चर्चा में हैं। यहां बीते 50 दिन में महिला जिला अस्पताल की विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में 32 बच्चों की जान चली गई है।
बरसात के मौसम में बदायूं में बुखार के साथ अब डायरिया ने भी प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है। शनिवार को ब्लाक दहगवां के बस्तोई गांव में डायरिया की चपेट में आकर एक भाई-बहन की मौत हो गई। इसके साथ ही गांव के अन्य बच्चे की भी डायरिया के कारण मौत हो गई है। गांव के धर्मवीर के बेटे कुलदीप (3) की शुक्रवार को अचानक हालत बिगड़ी थी। उसे उल्टी व दस्त होने लगे।
परिवार के लोग कादराबाद गांव में एक निजी चिकित्सक के पास ले गए। वहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। शनिवार को उनकी बेटी आशा (10) की भी उल्टी-दस्त के दौरान मौत हो गई। इसी परिवार के राजेश नाम के युवक को भी डायरिया के चलते डॉक्टर के यहां भर्ती कराया गया है। शनिवार को ही यहां पर दहगवां निवासी शरीफ मलिक की आठ महीने की बेटी शमायरा की डायरिया से मौत हुई है।
बिसौली क्षेत्र में बुखार से प्रकोप से एक मासूम और एक किशोरी की मौत हो गई। इधर, दो दर्जन से अधिक लोग अभी भी बुखार की चपेट में है। गांव जैतपुर में 17 वर्षीय वैष्णवी पुत्री राजीव शर्मा पिछले छह दिन से मलेरिया की चपेट में थी। शुक्रवार को वैष्णवी ने दम तोड़ दिया। इस गांव में बुखार से एक दर्जन बच्चे बीमार है।
गांव वालों का कहना है कि गांव में चारों ओर घूर पड़े हैं। इसके कारण संक्रामक रोग पनप रहे हैं। इधर, गांव मई में बुखार की चपेट में आने पर धर्मदास जाटव का नौ वर्षीय पुत्र अरूण ने दम तोड़ दिया। उसका भाई वरूण भी बुखार की चपेट में है। अरूण को भी तीन दिनों से बुखार आ रहा था। इस गांव में भी एक दर्जन बच्चे बुखार की चपेट में हैं। गांव में सोनू, राकेश, प्रदीप और पप्पू आदि बच्चे गंभीर रूप से बीमार हैं।
गंभीर बीमारी के कारण हुई मौत
सीएमओ बदायूं, डॉ. मनजीत सिंह ने बताया कि जिन बच्चों को एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था, उनमें गंभीर बीमारियाँ थीं और उनके बचने की संभावना कम थी।
जिला महिला अस्पताल की अक्षीक्षक डॉ. रेखा रानी ने कहा कि इस महीने यहां ज्यादा बच्चे भर्ती किए गए हैं और उनमें से अनेक बच्चों के कई अंग एक साथ फेल हो गए। करीब 20 बच्चों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है।
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