19 दिन में 11 लोगों ने चुनी मौत
सावन की भक्ति का महीना अगस्त इस बार खुदकशी करने के मामले से कलंकित हो गया।
बदायूं : सावन की भक्ति और रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समेत अन्य त्योहारों का महीना अगस्त इस बार खुदकशी के लिए बदनाम हो रहा है। जिलेभर में 19 दिन में 11 लोगों ने मौत को गले लगा लिया। घटनाओं की वजह चाहें जो भी रही हो लेकिन इतना तय है कि अकेलापन और भविष्य को लेकर हुई ¨चताओं ने इन लोगों को चिता में सुला दिया। वहीं समाजशास्त्री से लेकर साइकोलॉजिस्ट तक का मत है कि इन घटनाओं के लिए कोई और नहीं बल्कि परिवार और समाज जिम्मेदार है। यह हुई घटनाएं
- दो अगस्त को थाना मूसाझाग इलाके के गांव मचलई निवासी दूल्हे खां के 25 साल के बेटे राशिद ने जान दी।
- सात अगस्त को सहसवान कोतवाली क्षेत्र के गांव सुजावली निवासी विवाहिता सुनीता ने आत्महत्या की।
12 अगस्त की शाम उसावां निवासी विजेंद्र नाम के युवक ने खुद को गोली मार ली।
- 13 अगस्त को उझानी के छतुइया गांव में रहने वाले छत्रपाल ने फांसी लगाई।
- 14 अगस्त को इस्लामनगर के अल्लैहपुर गांव में चमन नाम की विवाहिता फंदे पर झूल गई।
- 15 अगस्त को फैजगंज में किरनदेवी ने फांसी लगाई।
- इसी दिन शहर के लालपुल इलाके में लखन मौर्य नाम के युवक ने खुद को गोली मार ली।
- शनिवार रात मथुरिया चौक पर राहुल तो रविवार को जवाहरपुरी में अनुज पाठक ने फांसी लगा ली। समाजशास्त्री का तर्क
समाजशास्त्री लेफ्टिनेंट डॉ. संतोष कुमार के मुताबिक इन घटनाओं के लिए समाज भी काफी हद तक जिम्मेदार है। क्योंकि किसी कारणवश अपने क्षेत्र में पिछड़ने वाले लोगों को समाज ही हतोत्साहित करता है। परिवार वाले भी उसकी नहीं सुनते। ऐसे में व्यक्ति को लगता है कि अब उसका दुनिया में कोई काम नहीं रहा और सब कुछ खत्म हो चुका है। यही सोच आत्महत्या को प्रेरित करती है। साइकोलॉजिस्ट की बात
जब किसी व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका नहीं मिलता और भावात्मक रूप से उसे कोई सपोर्ट नहीं करता है तो नकारात्मक सोच पैदा होती है। कुछ अच्छा करने का दबाव रहता है और अकेलापन घेर लेता है। यही आत्महत्या की वजह बनता है।
- सर्वेश कुमारी, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, जिला अस्पताल