18 साल की मेहनत को बचाए रखना चुनौती
पोलियो का भले ही कोई केस या सेंपल न मिला हो लेकिन 18 साल तक चले अभियान को बचाना चुनौती बन गया है।
बदायूं : जिले में पोलियो का भले ही कोई केस या सेंपल इस साल न मिला हो लेकिन 18 साल तक चले पल्स पोलियो अभियान की मेहनत को बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। वजह है कि हाल ही में तकरीबन 64 हजार वायल वैक्सीन में पीटू वायरस के संक्रमण की आशंका के चलते वैक्सीन लौटाई जा चुकी है। अब इंजेक्शन के जरिये टीकाकरण की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है।
साल 2014 में देश पोलियो मुक्त घोषित हो चुका है। हालांकि उसी साल जिले में दो मामले प्रकाश में आए थे। बिसौली और जरीफनगर में रहने वाले दो बच्चों के पैर में ढिलाई देखी गई थी। दोनों का स्टूल टेस्ट मुंबई भेजा गया तो पता लगा कि बच्चों को बर्थ हाईफेक्शिया की बीमारी थी। इसी कारण पैर ही नहीं बल्कि उनके शरीर के अन्य अंगों में भी शिथिलता थी। वैक्सीनेशन से पहले चलता है अभियान
- जिले में पोलियो के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमा स्कूली बच्चों की रैलियां निकालने के साथ ही पोलियो विषय पर निबंध व पोस्टर प्रतियोगिताएं होती हैं। घर-घर जाकर एनसीसी व एनएसएस के छात्र-छात्राएं भी शिविरों के दौरान साफ-सफाई के साथ पोलियो की वैक्सीन बच्चों को लगवाने के लिए मलिन बस्तियों से लेकर देहात इलाकों तक के लोगों को जागरूक करते हैं।
63 हजार 720 वायल में था खतरा
- पिछले महीने पोलियो की 63 हजार 720 वायल में पीटू वायरस का खतरा बन गया था। इसकी जानकारी होने पर आनन-फानन में अधिकारियों ने यह वायल मुख्यालय को वापस लौटा दी। वायल का वितरण सीएचसी या पीएचसी स्तर पर नहीं हुआ था। वर्जन
जिले में पोलियो का कोई संभावित केस दो साल से नहीं मिला है। कोई स्टूल टेस्ट भी नहीं भेजा गया है। शासनस्तर से तिथि मिलने पर साल में पांच बार वैक्सीन पिलाई जाती है। इंजेक्शन के माध्यम से भी वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
डॉ. मंजीत ¨सह, प्रभारी सीएमओ