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12 साल बाद 650 रुपये रिश्वत प्रकरण की खुली फाइल

आजमगढ़ वरासत के नाम पर लेखपाल द्वारा 650 रुपये रिश्वत लिए जाने के प्रकरण की फाइल 12 साल बाद पुन खुल गई है। अब तत्कालीन तहसीलदार तत्कालीन नायब तहसीलदार और तत्कालीन कंप्यूटर सहायक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी तेज हो गई है। उप जिलाधिकारी सगड़ी को संबंधित अधिकारियों व कर्मचारी के खिलाफ एक सप्ताह में आरोप पत्र गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 09:22 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 06:24 AM (IST)
12 साल बाद 650 रुपये रिश्वत प्रकरण की खुली फाइल
12 साल बाद 650 रुपये रिश्वत प्रकरण की खुली फाइल

जागरण संवाददाता, आजमगढ़: वरासत के नाम पर लेखपाल द्वारा 650 रुपये रिश्वत लिए जाने के प्रकरण की फाइल 12 साल बाद पुन: खुल गई है। अब तत्कालीन तहसीलदार, तत्कालीन नायब तहसीलदार और तत्कालीन कंप्यूटर सहायक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी तेज हो गई है। उप जिलाधिकारी सगड़ी को संबंधित अधिकारियों व कर्मचारी के खिलाफ एक सप्ताह में आरोप पत्र गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

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भ्रष्टाचार निवारण गोरखपुर इकाई की ट्रैप टीम द्वारा 2007 में तहसील सगड़ी के लेखपाल केशव सिंह को शिकायतकर्ता प्रेमचंद्र मौर्य से 650 रुपये लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया था। प्रकरण की विवेचना भ्रष्टाचार निवारण संगठन गोरखपुर द्वारा की गई। विवेचना के दौरान सगड़ी तहसील के तत्कालीन तहसीलदार रामविलास यादव, तत्कालीन नायब तहसीलदार चंद्रप्रकाश प्रियदर्शी और तत्कालीन कंप्यूटर सहायक निजामुद्दीन के खिलाफ शिथिल पर्यवेक्षण का दोषी पाते हुए विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेंद्र सिंह ने एसडीएम सगड़ी रावेंद्र सिंह को पत्र प्रेषित कर तत्कालीन तहसीलदार व नायब तहसीलदर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए आरोप पत्र की रिपोर्ट और कंप्यूटर सहायक के खिलाफ अपने स्तर से विभागीय कार्रवाई करते हुए वस्तुस्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया है।

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मालटारी बाजार में हुई थी गिरफ्तारी

जीयनपुर कोतवाली के ग्राम बटसरा निवासी प्रेमचंद मौर्य ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन, गोरखपुर कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी। शिकायती पत्र में कहा कि उसके चाचा सुखराम की मौत वर्ष 2007 में हो गई थी। वे निसंतान थे। इसलिए उनके हिस्से की जमीन प्रेमचंद के पिता संग्राम के हक में वरासत होनी थी। इसके लिए क्षेत्र के लेखपाल केशव सिंह ने एक हजार रुपया घूस मांगा। 350 रुपया लेखपाल पा चुके थे। शेष 650 रुपया के लिए छह जून 2007 को दोपहर बाद लेखपाल ने मालटारी बाजार में देने को बुलाया है। इसी सूचना पर ट्रैप टीम के सदस्य इंस्पेक्टर एनपी गौड़, चंद्रभान मिश्र, शैलेंद्र राय आदि ने लेखपाल को 650 रुपया घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।

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लेखपाल को हो चुकी है चार साल की सजा

वरासत कराने के लिए 650 रुपया घूस लेने के जुर्म में दोषी सिद्ध पाए जाने पर 10 दिसंबर 2015 को विशेष न्यायाधीश गोरखपुर अनिल कुमार पांडेय ने लेखपाल केशव सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात, 13(1) एवं 13 (2) तहत 10 दिसंबर 2015 को चार वर्ष के कठोर कारावास व दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई थी। साथ ही यह भी कहा था कि अर्थदंड न जमा करने पर चार माह का कारावास और भुगतना होगा।कोर्ट में एडीजीसी एचएन यादव व संतोष कुमार यादव ने घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार लेखपाल केशव सिंह के संबंध में पत्रावली उपलब्ध कराई थी। इसी साक्ष्य के आधार पर कोर्ट ने सजा सुनाई थी।


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