पत्नी की बची जान तो छठ मइया को दंडवत प्रणाम
आजमगढ़ छठ पूजा को लेकर तमाम मान्यताएं हैं। आमतौर पर लोग पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं लेकिन मूल रूप से आस्था विश्वास और समर्पण का पर्व है। अगर इसके पुराने गीतों पर ध्यान दें तो महिलाएं पूजा के दौरान गाती हैं डोलिया चढ़न के बेटी एक मांगीले घोड़वा चढ़न के दमाद हे छठी मइया। यानी यह पर्व नारी सशक्तीकरण का भी संदेश देता है और शायद उसी संदेश को समझा मातवरगंज मोहल्ला निवासी बंटी शर्मा ने।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : छठ पूजा को लेकर तमाम मान्यताएं हैं। आमतौर पर लोग पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं, लेकिन मूल रूप से आस्था, विश्वास और समर्पण का पर्व है। अगर इसके पुराने गीतों पर ध्यान दें तो महिलाएं पूजा के दौरान गाती हैं 'डोलिया चढ़न के बेटी एक मांगीले, घोड़वा चढ़न के दमाद, हे छठी मइया' यानी यह पर्व नारी सशक्तीकरण का भी संदेश देता है और शायद उसी संदेश को समझा मातवरगंज मोहल्ला निवासी बंटी शर्मा ने। बंटी की मां चिता शर्मा काफी दिनों से छठ का व्रत रखती हैं। बंटी की पत्नी की तबीयत पिछले दिनों काफी खराब हो गई। दवा-इलाज में लाखों रुपये खर्च हो गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बंटी की मां ने भी बहू के लिए ईश्वर से प्रार्थना की लेकिन जब तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो बंटी ने छठ मइया को याद किया और मन्नत मांगी कि अगर पत्नी स्वस्थ हो गई तो तीन दिनी व्रत करने के साथ दंडवत प्रणाम करते हुए पूजा घाट पर पहुंचेंगे। छठ मइया की कृपा से पत्नी स्वस्थ हो गईं तो बंटी ने पति धर्म निभाया और इस साल तीन दिनी छठ व्रत रखने के साथ तमसा के कदम घाट तक दंडवत प्रणाम करते हुए पहुंचा। मां चूंकि पहले से व्रत रखती हैं सो बेटे की आस्था देखकर उनके चेहरे पर भी एक अलग तरह का तेज दिख रहा था।