अमर सुहाग के लिए महिलाओं ने किया अन्न-जल का परित्याग
जागरण संवाददाता आजमगढ़ दिल में आस्था और मन में विश्वास हो तो कोई भी समस्या दिल में आस्था और मन में विश्वास हो तो कोई भी समस्या आड़े नहीं आ सकती। कुछ इसी तरह की स्थिति गुरवार को नजर आई हरतालिका तीज पर। आड़े नहीं आ
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: दिल में आस्था और मन में विश्वास हो तो कोई भी समस्या आड़े नहीं आ सकती। कुछ इसी तरह की स्थिति गुरवार को नजर आई हरतालिका तीज पर। गर्मी से सिर भारी हो रहा था और जुबान सूख रही थी, लेकिन सुहागिन महिलाओं के चेहरे पर शिकन नहीं थी। पति की दीर्घायु के लिए अन्न और जल का परित्याग किया और शाम को शिव-पार्वती की पूजा कर अखंड सुहाग की कामना की। कहीं घरों में पूजन और कथा के लिए पुरोहित बुलाए गए, तो कहीं मंदिरों में सामूहिक आयोजन किया गया।
घर के पुरुष वर्ग में भी व्रत पर्व को लेकर उत्साह था और वह व्रतियों का सहयोग करने को आतुर दिखे। दिन भर बाजारों में रौनक दिखी और लोगों ने नए वस्त्र, फल-फूल आदि की खरीददारी की।शाम होने के साथ शिव मंदिरों में महिलाओं की भीड़ उमड़ी। व्रतियों ने शिव-पार्वती की पूजा की और कथा का श्रवण किया। तमाम घरों में जहां पुरोहित बुलाकर घर में ही कच्ची मिट्टी के बने शिव-पार्वती और गणेश की की पूजा और कथा का श्रवण किया गया, वहीं काफी महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने किसी शिव मंदिरों में पहुंचकर सामूहिक रूप से कथा का श्रवण किया।
पूजा के दौरान प्रसाद स्वरूप महिलाओं ने शिव को जहां फल-फूल चढ़ाया वहीं मां पार्वती के लिए बांस की बनी डलिया में रखकर श्रृंगार का सामान अर्पित किया। व्रत से जुड़ी कथाओं में एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु से विवाह होने से बचाने के लिए हिम पुत्री सती का उनकी सखियों ने हरण कर लिया था इसीलिए इसे हरतालिका तीज कहा जाता है।