सच्चाई को जिदा रखने के लिए हथियार की जरूरत नहीं
- आयोजन - दूसरी मोहर्रम पर जगह-जगह मजलिसों का आयोजन - नौहा व मातम करके शहीदाने कब
- आयोजन
- दूसरी मोहर्रम पर जगह-जगह मजलिसों का आयोजन
- नौहा व मातम करके शहीदाने कर्बला को किया गया याद
जागरण संवाददाता, सरायमीर (आजमगढ़): दूसरी मोहर्रम को कस्बा सरायमीर के अलावा निकामुद्दीनपुर, कोरौली खुर्द, कमालपुर, रसूलपुर, बिलहरी इमाम अली, खपड़ा गांव, बिजहर मैनुद्दीनपुर आदि गांवों में मजलिस का आयोजन किया गया।
लोगों ने इमामबाड़ा में नौहा व मातम करके शहीदाने कर्बला की शहादत को याद किया।कस्बा सरायमीर के इमामबाड़ा बारगाहे में हुसैनी मजलिस को संबोधित करते हुए प्रतापगढ़ से आए मौलाना सैय्यद कमर अब्बास ने कहा कि हक, इंसाफ और सच्चाई को जिदा रखने के लिए फौज व हथियार की जरूरत नहीं हुआ करती। इंसान कुर्बानी देकर भी जीत हासिल कर सकता है। इमाम हुसैन की कुर्बानी इसका नमूना है। उन्होंने कर्बला के मैदान में अपने 72 साथियों को कुर्बान करके इंसानियत की हिफाजत की।
मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी किसी खास मजहब के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए थी। यही वजह है कि हर इंसान अपने-अपने तरीके से उनकी शहादत को याद करता है।
आखिर में मौलाना ने इमाम हुसैन के छह महीने के बच्चे अली असगर की शहादत को बयां किया, तो मौजूद अजादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े।