एंटीबायोटिक दवाओं के सहारे हर बीमारियों का इलाज
आजमगढ़ गर्मी व उमस से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। जहां प्रतिदिन एक हजार से 1200 मरीज दिखाने के लिए आते थे वहीं अब मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार हो गया है। अस्पताल की दवाएं मरीजों पर असर नहीं कर रही हैं। इसे लेकर चिकित्सक परेशान हैं तो मरीज हलकान हैं। दर्जनों बीमारियों का इलाज तीन एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा रहा है।
जासं, आजमगढ़ : गर्मी व उमस से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यहां प्रतिदिन एक हजार से 1200 मरीज दिखाने के लिए आते थे वहीं अब मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार हो गया है। अस्पताल की दवाएं मरीजों पर असर नहीं कर रही हैं। इसे लेकर चिकित्सक परेशान हैं तो मरीज हलकान हैं। दर्जनों बीमारियों का इलाज तीन एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा रहा है।
बारिश के मौसम में उमसभरी गर्मी से जनमानस बेहाल है। तमाम नए-नए बुखार से पब्लिक परेशान है। गांव व शहर की गरीब जनता सरकारी अस्पतालों में फ्री जांच व फ्री इलाज कराती है लेकिन दवाओं की उपलब्धता कम होने के कारण अस्पताल की दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। आराम न होने से परेशान चिकित्सक भी बाहर की दवा लिखने को विवश हैं। अस्पताल की दवाएं आराम न करने पर मरीज प्राइवेट चिकित्सकों के पास जाना उचित समझ रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल में एक या दो ही एंटीबायोटिक दवाएं हैं। सभी मरीजों को वहीं एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं इसलिए आराम नहीं करती। फार्मासिस्ट अनिल राय ने बताया कि अस्पताल में 217 दवाएं उपलब्ध हैं। इनमें पांच एंटीबायोटिक दवाएं हैं। जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों का कहना है कि खांसी, खुजली, टायफाइड, मलेरिया अच्छी दवा अस्पताल में नहीं है। चिकित्सक बाहर से दवा लिखने को विवश हैं।
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-कारपोरेशन से ही दवाएं अस्पताल में भेजी जाती हैं। पूरे प्रदेश में एक ही स्थान से दवाएं भेजी जाती हैं इसलिए कुछ दवाएं खत्म होने के बाद देर से आती है। पहले अपने स्तर से दवाएं खरीदना होता था तो तत्काल उपलब्ध करा दिया जाता था। यदि कोई दवा अस्पताल में नहीं रहती है तभी बाहर से लिखी जाती है।
-डा. एसकेजी सिंह, एसआइसी, जिला मंडलीय अस्पताल आजमगढ़।