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गाड़ियों की सेहत देखकर करें सफर, डग्गामार वाहन मौत बनकर भर रहे रफ्तार

जागरण संवाददाता आजमगढ़ सफर को सुरक्षित बनाना चाह रहे तो गाड़ियों की सेहत देखकर ही

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 10:16 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 10:16 PM (IST)
गाड़ियों की सेहत देखकर करें सफर, डग्गामार वाहन मौत बनकर भर रहे रफ्तार
गाड़ियों की सेहत देखकर करें सफर, डग्गामार वाहन मौत बनकर भर रहे रफ्तार

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : सफर को सुरक्षित बनाना चाह रहे तो गाड़ियों की सेहत देखकर ही सवारी करें। एक चूक आपके सफर को खतरे में डाल सकती है। सड़कों पर रफ्तार भरने वाले अनफिट वाहनों की भरमार है। सरकार ने कोरोना काल की दुश्वारियों के ²ष्टिगत फिटनेस कराने से शर्तों के साथ छूट क्या दी कि सफर में लोगों के सांसों की सलामती मुश्किल में पड़ती नजर आने लगी है। नवंबर माह में करीब एक दर्जन वाहनों के पलटने की घटनाएं इसका सुबूत हो सकती हैं।

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सड़कों पर खंड-खंड हो रहे नियम-कानून

ट्रैक्टर-ट्रालियों को कृषि कार्य करने की छूट दी गई है। उसका भी एक आदर्श मानक निर्धारित किया गया है। मसलन, ट्राली की लंबाई ढाई से लेकर साढ़े चार मीटर, चौड़ाई डेढ़ से सवा दो मीटर व गहराई एक मीटर होनी चाहिए। इसके अलावा वर्कशाप का प्रमाणपत्र, बिल, ट्राली के पीछे बैकलाइट, रिफ्लेक्टर व खाली ट्राली का वजन व कंप्यूटराइज्ड धर्मकांटे की रसीद होनी चाहिए। इसके अलावा ट्राली का चेचिस नंबर आवंटित होने के बाद बीमा भी होना चाहिए। कॉमर्शियल ट्रैक्टर का टैक्स 525 रुपये प्रति टन प्रति क्वार्टर और ट्राली का टैक्स 242 रुपये प्रति टन व प्रति क्वार्टर रखा गया है। इतने नियमों के बावजूद बड़े-बड़े ट्राले लगाए चालक बालू, गिट्टी की ढुलाई करने के साथ ही हादसों में लोगों की जान ले रहे हैं।

कोविड-19 की भेंट चढ़ा सड़क सुरक्षा सप्ताह

सर्दियों से ठीक पहले सड़क सुरक्षा सप्ताह चलता है। पुलिसकर्मी इसे यातायात माह नवंबर के रूप में मनाते हैं। कोविड- 19 के कारण जागरूकता अभियान रफ्तार नहीं पकड़ पाया। कोरोना की गति कमजोर पड़ने के साथ ही सबकुछ सामान्य होता उससे पूर्व एक और वेब की आहट ने फिर से गतिविधियों के सामान्य होने पर रोक लगा दी। चूंकि कोरोना मार्च माह में गति पकड़ने लगा था, लिहाजा अक्टूबर माह के हादसों पर भी इसका असर पड़ा। वर्ष 2019 में हुई कुल मौतों के आंकड़े को अबकी अक्टूबर माह ने ही छू लिया।

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फिटनेस के लिए इतने मानकों से गुजरते हैं वाहन

परिवहन विभाग के विशेषज्ञ वाहनों की जांच कर प्रमाणपत्र देते हैं कि अमुक वाहन सड़क पर रफ्तार भरने लायक है। संभागीय निरीक्षक फिटनेस देने से पूर्व गाड़ियों के रंग, टायर, स्टेयरिग के बैलेंस, सभी तरह की लाइटें इत्यादि को सुरक्षा के आदर्श मानकों पर कसते हैं।

लाइसेंस की नहीं होती जांच

ट्रैक्टर एवं जुगाड़ वाहनों की जांच पर जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं। इसका नतीजा है कि ईंट, बालू ढोने में लगी अधिकांश ट्रैक्टर-ट्रालियों की स्टेयरिग अप्रशिक्षित चालकों के हाथों में होती है। चूंकि कामर्शियल कार्यों में लगी गाड़ियों के मालिकों की सेटिग होती है, लिहाजा उन्हें जांच का खौफ नहीं होता है। कमोबेश ऐसा ही जुगाड़ वाहनों के चालकों के साथ होने से वे कानून के चंगुल से बच निकलते हैं। इसका खामियाजा जन-सामान्य को प्राण संकट में डालकर चुकाना पड़ता है। तेज रफ्तार कार खाई में पलटी

जागरण संवाददाता, नंदाव (आजमगढ़) : सरायमीर क्षेत्र के नंदाव-सरायमीर मार्ग पर बुधवार की दोपहर एक बजे तेज रफ्तार में कार चलाना उस समय भारी पड़ गया जब कार सड़क किनारे खाई में पलट गई। इसमें एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया जबकि बाकी दो बाल-बाल बच गए। घटना रछिया स्थान के पास हुई। स्विफ्ट कार चालक ने गड्ढे से बचने के चक्कर में स्टेयरिग को घुमाया लेकिन तेज रफ्तार के कारण कार असंतुलित होकर सड़क किनारे खाई में जा पलटी। हादसे में नंदाव निवासी साकिब (17) घायल हो गया। बाकी दो लोग बाल-बाल बच गए।

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वर्जन ..

सड़क सुरक्षा सप्ताह में हमने खूब कार्रवाई की है। हादसों के कारकों के बारे चालकों को बताया जा रहा है। स्कूलों में अभियान चलाया जा रहा है, ताकि बच्चे खुद के साथ अभिभावकों को भी जागरूक करें। कोविड काल में फिटनेस में पेनाल्टी की रियायत दी गई है।

-संतोष कुमार सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन।


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