Move to Jagran APP

सिगल यूज प्लास्टिक का निकाला थ्री स्टार समाधान

सिगल-यूज प्लास्टिक बोतल का अनूठा उपयोग राजकीय पालीटेक्निक हर्रा की चुंगी आजमगढ़ के शिक्षक इंजीनियर कुलभूषण सिंह ने ग्लूकोज एवं कोल्डड्रिक की उपयोग हो चुकी बोतलों का पुन उपयोग कर किया है। कॉलेज परिसर में लगे पेड़-पौधों की ड्रिप विधि द्वारा सिचाई का अनूठा प्रयोग करके दिखाया। वे इसे थ्री स्टार समाधान व्यवस्था कहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 01:09 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:19 AM (IST)
सिगल यूज प्लास्टिक का निकाला थ्री स्टार समाधान
सिगल यूज प्लास्टिक का निकाला थ्री स्टार समाधान

अनिल मिश्र, आजमगढ़

loksabha election banner

--------------------

सिगल यूज प्लास्टिक बोतल का जल संरक्षण की दिशा में अनूठा उपयोग करके राजकीय पालीटेक्निक हर्रा की चुंगी के शिक्षक इंजीनियर कुलभूषण सिंह ने बेहतर संदेश दिया है।

ग्लूकोज एवं कोल्डड्रिक की उपयोग हो चुकी बोतलों से कालेज परिसर में लगे पेड़-पौधों की ड्रिप विधि द्वारा सिचाई का अनूठा प्रयोग करके दिखाया। वे इसे 'थ्री स्टार समाधान' व्यवस्था कहते हैं।

कहते हैं कि इसके तीन फायदे हैं। एक तो सिगल यूज प्लास्टिक बोतलों का पुन: उपयोग, दूसरा ड्रिप विधि सिचाई से जल की बचत और तीसरे एक बाल्टी पानी से लगभग 20 पेड़-पौधों की सिचाई की जा सकती है। यदि इस विधि के उपयोग से लाखों-करोड़ों उपयोग हो चुकी प्लास्टिक की बोतलों का पुन: उपयोग हो सकेगा। साथ ही करोड़ों लीटर जल की बचत और पेड़-पौधों का विकास सुरक्षित ढंग से हो सकेगा।

........

इस तकनीक के फायदे

बेकार पड़ी ग्लूकोज व कोल्डड्रिक की उपयोग हो चुकी बोतलों के प्रयोग से पर्यावरण संरक्षण होगा। एक बाल्टी पानी में लगभग 20 पौधों की सिचाई होगी। इस विधि से एक लीटर प्लास्टिक बोतल का पानी लगभग चार घंटे तक बूंद-बूंद कर पेड़-पौधों की जड़ों में गिरता रहता है जिससे एक-एक बूंद पानी पौधों की जड़ों द्वारा सोख लिया जाता है। टपक सिचाई में जल उपयोग क्षमता 95 फीसद होती है, जबकि पारंपरिक सिचाई प्रणाली में जल उपयोग क्षमता 50 वर्ष ही होती है। पारंपरिक सिचाई की तुलना में टपक सिचाई में 70 फीसद तक जल की बचत की जा सकती है।

..........

ऐसे मिली प्रेरणा

पहले खुद घर में पड़ी प्लास्टिक की बोतलों को एकत्र किया। छात्रों से भी उपयोग हो चुकीं कोल्डड्रिक और प्लास्टिक की बोतलों को इकट्ठा करवाया। ग्लूकोज की बोतलों को कबाड़ी के यहां से लिया। छात्रों की मदद से बोतल टांगने के लिए सूखी लकड़ी के डंडे तैयार किए। राजकीय पालीटेक्निक कैंपस में पिछले दिनों रोपित किए पौधों के पास डंडा लगाकर ग्लूकोज की बोतलों का उपयोग कर ड्रिप विधि से सिचाई की जा रही है।

.........

इंजीनियरिग के छात्रों को होमवर्क

राजकीय पालीटेक्निक में सिविल इंजीनियरिग विषय में एनवायरमेंट एंड पॉल्यूशन कंट्रोल विषय में सिविल इंजीनियरिग के छात्रों को सिगल यूज प्लास्टिक और जल संरक्षण के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को प्रैक्टिकल ट्रेनिग के अंतर्गत यह होमवर्क दिया गया है। छात्र घर एवं आसपास में उपलब्ध बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों को संस्था में लाकर उस बोतल को ड्रिप सिचाई युक्त बनाकर संस्था के सभी पौधों में सिचाई की व्यवस्था करेंगे।

........

वर्जन--

फोटो--18-सी.।

''कलेक्ट्रेट के आसपास सड़क के किनारे लगे सभी पौधों की भी सिचाई की व्यवस्था प्लास्टिक बोतलों से ड्रिप सिचाई युक्त बनाकर करना चाहते हैं। सभी सामाजिक संगठनों का सहयोग लेकर सार्वजनिक स्थलों पर लगे पेड़-पौधों की सिचाई इस विधि से कराई जाएगी। इससे पर्यावरण संरक्षण एवं जल संरक्षण के रूप में इस जिले के लोग एक उदाहरण पेश कर सकेंगे।

--इंजीनियर कुलभूषण सिंह, राजकीय पालीटेक्निक, आजमगढ़।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.