साझा चूल्हे पर तीन पीढि़यों का बन रहा भोजन
आजमगढ़ लॉकडाउन-4 के 2
अनिल मिश्र, आजमगढ़ :
लॉकडाउन-4 के 28 मई का दिन। सुबह लगभग सात बजे का वक्त। किचन में एक बड़े बर्तन में चाय बन रही थी। घर के एक-एक कमरे से अलग-अलग आवाज आ रही थी। कुछ बच्चे अपने दादा-दादी से कहानियां सुन रहे थे। दूसरी पीढ़ी के कुछ लोग शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इम्युनिटी बढ़ाने के लिए छत पर खुली हवा में टहल रहे थे तो कुछ योग और प्राणायाम कर रहे थे। देर शाम हुई नहीं कि साझा चूल्हे पर भोजन बनना शुरू हुआ तो बच्चे थाली लेकर अपनी बारी का इंतजार करने लगे। किसी के भी चेहरे पर तनिक भी नाराजगी के भाव नहीं था, सभी खुश नजर आ रहे थे। यह नजारा था शहर के सीताराम (दलालघाट) दीन दयाल शाह (80) के परिवार का। एक ही छत के नीचे तीन पीढि़यों के 26 व्यक्ति रह रहे हैं।
यह परिवार लॉकडाउन के पूर्व भी इसी तरह रहता था लेकिन विभिन्न कारोबार से जुड़े होने से एक साथ सभी लोग एकत्र नहीं हो पाते थे। बच्चे स्कूल चले जाते थे। घर आने पर होमवर्क और बड़े अपने-अपने कारोबार में व्यस्त हो जाते थे। इतने बड़े परिवार की जीवन शैली में काफी अरसे बाद कुछ बदलाव आया है। क्योंकि कारोबार से जुड़े घर के सभी सदस्य तो घर पर ही रहते हैं। आधुनिक दौर में सिमट रहे परिवारों के लिए यह परिवार आज भी एकता की मिसाल बना है।