बारिश थमीं, ठंड व गलन में नहीं हुई कमी
आजमगढ़ शुक्रवार को दिनभर बारिश के बाद कड़ाके की ठंड से आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया लेकिन शनिवार की सुबह सूर्यदेव के दर्शन होने के बाद ठंड कम हो गई। सुबह से ही घरों से बाहर निकलकर लोग धूप का आनंद लेते देखे गए। शाम होते ही गलन तेजी से बढ़ गई और लोग ठंड की वजह से कंपकपाने लगे। हालात यह रही कि रात आठ बजे के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। कड़ाके की ठंड शुरू हो जाने के बावजूद अभी तक नगर पालिका प्रशासन की तरफ से शहर में कहीं भी अलाव नहीं जलवाए जा रहे हैं। इसकी वजह से आम जनमानस पूरी तरह से ठिठुरा हुआ है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : शुक्रवार को दिनभर बारिश के बाद कड़ाके की ठंड से आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया लेकिन शनिवार की सुबह सूर्यदेव के दर्शन होने के बाद ठंड कम हो गई। सुबह से ही घरों से बाहर निकलकर लोग धूप का आनंद लेते देखे गए। शाम होते ही गलन तेजी से बढ़ गई और लोग ठंड की वजह से कंपकपाने लगे। हालात यह रही कि रात आठ बजे के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। कड़ाके की ठंड शुरू हो जाने के बावजूद अभी तक नगर पालिका प्रशासन की तरफ से शहर में कहीं भी अलाव नहीं जलवाए जा रहे हैं। इसकी वजह से आम जनमानस पूरी तरह से ठिठुरा हुआ है।
गुरुवार की रात से अचानक बूंदा बांदी शुरू हो गई थी। एक बार शुरू हुई बूंदाबांदी रुकी ही नहीं और शुक्रवार को दिनभर होती रही। इस दौरान तेज हवा व गलन बढ़ने से जनमानस पूरी तरह से सिकुड़ गया। इस बीच कई जगहों पर शादी समारोह थे जो बारिश की वजह से अस्त-व्यस्त हो गए। कई जगह टेंट व कनात उड़ गए। इसकी वजह से बरातियों की भी फजीहत हुई। शुक्रवार की रात को मौसम पूरी तरह नम रहा। कड़ाके की ठंड से लोग घरों में ठिठुरे रहे। शनिवार की सुबह तक आसमान में बादल छाए जरूर थे लेकिन कुछ ही देर बाद यह छंट गए। अचानक सूर्यदेव का दर्शन हुआ और चिलचिलाती धूप निकल गई। कड़ाके की ठंड में घरों में कैद लोग बाहर निकल आए। सेकेंड सटरडे की वजह से सभी कार्यालय बंद थे। इसलिए सरकारी कर्मचारी भी घरों में कैद थे। धूप निकलने के बाद सभी ने धूप का जहां आनंद लिया वहीं बाजारों में चहल-पहल भी दिखी। शाम होते ही गलन व ठंड तेजी से शुरू हो गया। इसकी वजह से लोग घरों में कैद होना शुरू हो गए। रात आठ बजे के बाद सड़कों पर सन्नाटा जैसा नजारा दिख रहा था। कुल मिलाकर ठंड बढ़ने से लोग परेशान हैं। खासकर गरीब तबके के लोगों को काफी परेशानी हो रही है। ठेला, रिक्शा व खोमचा वाले रात में ठंड में सिकुड़ते देखे गए। अगर ठंड इसी तरह बढ़ती गई तो गरीब परिवारों के समक्ष संकट उत्पन्न हो जाएगा। अभी तक किसी भी स्वयंसेवी संस्था की तरफ से कंबल वितरण भी नहीं किया जा रहा है।