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बदली सरकारें, बुनकरों की बेबसी अभी भी बरकरार

रण संवाददाता जहानागंज (आजमगढ़) सरकार तो बहुत बदली पर नहीं बदली बुनकरों की तकदीर। उत्पाद बेचने को उन्हें सरकार कोई मंच उपलब्ध नहीं करा सकी। बड़े गद्दीदार उनके उत्पाद की कीमत खुद से तय करने के बाद बड़े व्यापारियों से बाजारू डिमांड के मुताबिक सौदा करते हैं। बीते महीनों में रही-सही कसर लाकडाउन ने पूरी कर दी। दुश्वारियों से जूझ रहे बुनकरों में अब सरकार से बजट की संजीवनी की मांग उठने लगी है। बुनकरों की हालत पर नजर डालें तो दीनहीन नजर आएंगे। बुनकर यह जानते हुए भी कि रेशमी साड़ियां बहुत महंगी होगी परंतु सुविधाओं के अभाव में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 05:00 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 05:00 PM (IST)
बदली सरकारें, बुनकरों की बेबसी अभी भी बरकरार
बदली सरकारें, बुनकरों की बेबसी अभी भी बरकरार

जागरण संवाददाता, जहानागंज (आजमगढ़): सरकार तो बहुत बदली पर नहीं बदली बुनकरों की तकदीर। उत्पाद बेचने को उन्हें सरकार कोई मंच उपलब्ध नहीं करा सकी। बड़े गद्दीदार उनके उत्पाद की कीमत खुद से तय करने के बाद बड़े व्यापारियों से बाजारू डिमांड के मुताबिक सौदा करते हैं। बीते महीनों में रही-सही कसर लाकडाउन ने पूरी कर दी। दुश्वारियों से जूझ रहे बुनकरों में अब सरकार से बजट की संजीवनी की मांग उठने लगी है।

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बुनकरों की हालत पर नजर डालें तो दीनहीन नजर आएंगे। बुनकर यह जानते हुए भी कि रेशमी साड़ियां बहुत महंगी होगी परंतु सुविधाओं के अभाव में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हो जाते हैं। सरकारों ने बुनकरों के लिए अलग से बिजली की व्यवस्था और पर्याप्त सब्सिडी के साथ-साथ उनके उत्पाद के निर्यात की उचित व्यवस्था का आश्वासन दिया परंतु इस दिशा में अब तक कोई कदम किसी सरकार द्वारा नहीं उठाया गया।

नहीं हुई क्रय-विक्रय की व्यवस्था

बुनकर नेता यूनुस अंसारी ने कहा कि बुनकरों द्वारा निर्मित साड़ी के निर्यात के लिए कोई उचित दाम निर्धारित नहीं किया गया और ना ही उन्हें रेशम या धागों की खरीद के लिए कोई सब्सिडी दी गई। रेशम और धागे खरीदकर रात-दिन एक करके साड़ी की बुनाई करते हैं और कम दामों में बेचते हैं।

सच नहीं हुए सपने

बुजुर्ग बुनकर नौशाद ने कहा करघे पर मेहनत करके हम लोग परिवार की गाड़ी चलाते हुए बचपन में तमाम सपने देखे थे। जब लूम की व्यवस्था हुई तो सोचा इससे बच्चों को अच्छी तालीम दे सकेंगे परंतु किसी तरह दो जून की रोटी उपलब्ध करा पाने में ही हम सफल हुए।

बिजली कटौती से कारोबार प्रभावित

-खालिक आजमी ने कहा कि बुनकरों की जीविका बिजली पर ही आश्रित होती है परंतु मामूली फाल्ट के चलते कई दिनों तक बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है। इससे बुनकरों का कारोबार बिल्कुल ठप हो जाता है और वह भुखमरी के कगार पर पहुंच जाते हैं।

लाकडाउन ने और बढ़ाई परेशानी

-शहबान अंसारी ने कहा कि लॉकडाउन ने तो बुनकरों की कमर ही तोड़ दी। ऐसे में यदि सरकार किसी निर्धारित स्थान पर क्रय केंद्र की व्यवस्था करती और बुनकर बारी-बारी अपने सामानों की बिक्री कर लेते तो उनकी इतनी बुरी दशा नहीं हुई होती।


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