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शहीद स्मारक व प्रतिमा स्थापना का शासन ने मांगा ब्योरा

आजमगढ़ अतरौलिया में शहीद स्मारक और प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शहीद देवनाथ पांडेय की प्रतिमा स्थापना के लिए शासन की ओर से धनराशि अवमुक्त की गई थी। डाक बंगला परिसर में शहीद स्मारक की चहारदीवारी तो बनी लेकिन न तो शहीद स्तंभ और ना ही शहीद की प्रतिमा स्थापित हुई। पांच साल का वक्त गुजर गया लेकिन शासन से अवमुक्त एक लाख 44 हजार 315 रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक नहीं भेजा गया। विभागीय मंत्री ने इसे गंभीरता लेते हुए खर्च धन को ब्योरा जिला प्रशासन से मांगा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 11:11 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 11:11 PM (IST)
शहीद स्मारक व प्रतिमा स्थापना का शासन ने मांगा ब्योरा
शहीद स्मारक व प्रतिमा स्थापना का शासन ने मांगा ब्योरा

जागरण संवाददाता, आजमगढ़: अतरौलिया में शहीद स्मारक और प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शहीद देवनाथ पांडेय की प्रतिमा स्थापना के लिए शासन की ओर से धनराशि अवमुक्त की गई थी। डाक बंगला परिसर में शहीद स्मारक की चहारदीवारी तो बनी लेकिन न तो शहीद स्तंभ और ना ही शहीद की प्रतिमा स्थापित हुई। पांच साल का वक्त गुजर गया लेकिन शासन से अवमुक्त एक लाख, 44 हजार, 315 रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक नहीं भेजा गया। विभागीय मंत्री ने इसे गंभीरता लेते हुए खर्च धन को ब्योरा जिला प्रशासन से मांगा है।

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अतरौलिया प्रतिनिधि के अनुसार स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन में अतरौलिया के खीरीडीहा निवासी देवनाथ पांडेय की अगुवाई में 23 अगस्त 1942 को सुबह 10 बजे डाक बंगला अतरौलिया से सत्याग्रह आंदोलन शुरू हुआ। लगभग 11 बजे अंग्रेजों के स्थानीय मुखबिरों ने इसकी सूचना अंग्रेज अफसरों को दी। इस पर जिला मुख्यालय से दो ट्रक फौज के साथ तत्कालीन अतरौलिया मेजर दूनीचंद पहुंचा और आंदोलन समाप्त करने को कहा। जब आंदोलनकारियों ने बात नहीं मानी तो उसने गोली मारने का आदेश दे दिया। गोली अगुवाई कर रहे देवनाथ पांडेय को लगी और वे शहीद हो गए। इधर, शहीद के नाम पर स्मारक बनाने और उनकी प्रतिमा स्थापना के लिए धनराशि अवमुक्त की गई लेकिन वाह रे जिम्मेदार, शासन की मंशा की ऐसी की तैसी कर दी। उत्तर प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी कल्याण संस्थान मंत्री सूर्य कुमार ने एक सप्ताह के अंदर उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा है जिससे उसे महालेखाकार प्रयागराज को भेजा जा सके।


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