मानव जीवन की आचार संहिता है श्रीरामचरितमानस
जागरण संवाददाता, जहानागंज (आजमगढ़) : क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय समेंदा में आयोजित नौ दिवसीय मह
जागरण संवाददाता, जहानागंज (आजमगढ़) : क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय समेंदा में आयोजित नौ दिवसीय महारुद्र शतचंडी महायज्ञ में श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए पंडित गो¨वद शास्त्री ने कहा कि समाज को जो जोड़ने का काम करता है वही संत कहलाता है। हनुमान ने लक्ष्मण, सीता तथा भरत के साथ-साथ सुग्रीव व विभीषण को भी श्रीराम से जोड़ने का प्रयास किया। इस नाते बजरंगी महान संतो में एक हैं। श्री शास्त्री जी ने कहा कि भक्त हनुमान ने जीवन में अछ्वुत भक्ति का मिसाल प्रदर्शित करते हुए समर्पित भाव से प्रभु श्रीराम की सेवा की। उन्होंने बताया कि सुई को दर्जी सिर की टोपी में और कैची को पैरों के नीचे रखता है। क्योंकि सुई जोड़ने का काम करती है और कैची काटने का काम करती है। हनुमानजी ने राजा रावण को भी समझा बुझाकर प्रभु श्रीराम से जोड़ने का प्रयास किया परंतु अहंकार के वशीभूत रावण ने उनकी बात न माना और अपने पूरे परिवार का विनाश कराया। मानस कोकिला प्रज्ञा किरण भारती ने कहा कि भगवान अपने भक्तों के अहंकार को समाप्त करने के लिए स्वयं सारा दुख उठाने के लिए तैयार रहता है। क्योंकि नारद जब अहंकार से ग्रसित हुए थे तो भगवान विष्णु ने उनकी मोक्ष के लिए एक लीला रचाई जिसके चलते क्रोधित नारद ने भगवान को श्राप दे दिया था। बाद में नारद जी ने पश्चाताप कर अपना श्राप वापस लेना चाहते थे तो भगवान ने मुस्कुरा कर कहा हे नारद आपके मन का अंधकार मिट गया। इसके बदले आपके श्राप को मैं सहर्ष शिरोधार्य करता हूं। उन्होंने कहा कि श्री रामचरित मानस मानव जीवन की आचार संहिता है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री यशवंत ¨सह, सुभाष ¨सह, स्वतंत्र ¨सह, सुधीर ¨सह, ¨डपल दुबे, पंकज ¨सह, ¨रकू ¨सह, अमृत ¨सह, अनिल ¨सह, सभाजीत ¨सह आदि थे।