भागदौड़ की जिंदगी में दिल पर ही सबसे ज्यादा बोझ
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जागरण संवाददाता, आजमगढ़: काफी बार आपने सुना होगा कि मानव शरीर में भगवान निवास करते हैं। इसलिए शरीर को स्वस्थ और स्वच्छ रखना जरूरी होता है। हमारा शरीर एक मशीन की तरह है, जिसके हर अंग का कुछ ना कुछ काम होता है। दिल, दिमाग, पेट, जुबान सब मिलकर हमारे दैनिक जीवन को बेहतर बनाते हैं। विश्व हृदय दिवस के अवसर पर मंडलीय जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता डा.राजनाथ ने 'दैनिक जागरण' से दिल से जुड़ी कुछ विशेष बातों के बारे में चर्चा की।
डा. राजनाथ ने बताया कि भागदौड़ भरी जिदगी में एक दिल ही है, जिसपर सबसे ज्यादा बोझ पड़ता है। तनाव, थकान, प्रदूषण आदि कई कारण से खून का आदान-प्रदान करने वाले इस अति महत्वपूर्ण अंग को अपना काम करने में मुश्किल होती है। युवाओं के बारे में बताया कि युवाओं में हृदयाघात और हृदय की बीमारियों की बढ़ती संख्या चिता का विषय बन रही है। पहले जहां 30 से 40 वर्ष तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, लेकिन आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। ऐसे में हृदय की समस्याओं से बचने का एक ही उपाय है कि आप खुद अपनी कुछ सामान्य जांच करें। हृदय संबंधी सामान्य समस्याओं को भी गंभीरता से लें।
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निष्क्रिय जीवनशैली
आजकल हम अपना अधिकतर समय आफिस में बिताते हैं, जहां अधिक शारीरिक कार्य करने की जगह अधिकतर लोग सिर्फ बैठकर अपना काम करते हैं। इस स्थिति में शरीर निष्क्रिय जीवनशैली का आदी बन जाता है। आज के युवा आफिस में तो बैठे-बैठे कॉफी पीते हैं और फिर घर पर भी रात को देर तक टीवी देखकर सुबह देर से जागते हैं। दूसरे दिन सुबह आफिस पहुंचने की भागमभाग में व्यायाम से पाला ही नहीं पड़ता। ऐसे में हृदय रोगों की आहट आनी लाजमी है।