रंगीन व आकर्षक मिठाई के नाम पर 'स्वीट प्वाइजन'
आजमगढ़ त्योहार का फायदा उठाने के लिए नकली खोवा से मिठाई बनाने का कारोबार तेजी से बढ़ा है। यही नहीं मिठाई को और रंगीन बनाने के लिए अधिक मात्रा में रंग का उपयोग किया जाता है जो सेहत के लिए खतरनाक है। एफडीए टीम की छापेमारी के बावजूद मिठाई विक्रेता अपने इस कृत्य को अंजाम दे रहे हैं। इसकी वजह से दीपावली की मिठाई की खुशी में लोगों की सेहत किसी समय भी बिगड़ सकती है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : त्योहार का फायदा उठाने के लिए नकली खोवा से मिठाई बनाने का कारोबार तेजी से बढ़ा है। यही नहीं मिठाई को और रंगीन बनाने के लिए अधिक मात्रा में रंग का उपयोग किया जाता है, जो सेहत के लिए खतरनाक है। एफएसडीए टीम की छापेमारी के बावजूद मिठाई विक्रेता अपने इस कृत्य को अंजाम दे रहे हैं। इसकी वजह से दीपावली की मिठाई की खुशी में लोगों की सेहत किसी समय भी बिगड़ सकती है।
शहर के महावीर मिष्ठान विक्रेता चंद्रप्रकाश ने बताया कि नकली खोवा बनाने के लिए स्किड मिल्क पाउडर को रिफाइंड में मिला दिया जाता है। कुछ देर बाद बने गाढ़े दूध को पकाने के बाद खोवा तैयार हो जाता है। इसी को आमतौर पर सिथेटिक दूध से बना खोवा भी लोग कहते हैं। यह भी बताया कि त्योहार पर मिठाई की अधिक खपत को देखते हुए नकली रसगुल्ला कुछ शहरों व बाजारों में बनता है जिसे आपूर्ति किया जाता है। इसमें मक्के का आटा मिलाने से मात्रा अधिक हो जाती है। बताया कि मिठाई को रंगीन व चमकदार बनाने के लिए उसमें खाने वाला रंग और चांदी के वर्क के नाम पर एल्युमीनियम से बने वर्क को लगाया जाता है। यह काफी सस्ता होता है, जबकि चांदी का वर्क काफी महंगा होता है। इसी प्रकार मिठाई को रंगीन बनाने के लिए एक क्विटल में 10 ग्राम ही प्रयोग में लाना चाहिए, लेकिन आकर्षक बनाने के लिए रंग की मात्रा बढ़ा दी जाती है। रही बात चांदी के वर्क के पहचाने जाने की तो चांदी का वर्क हाथ में मलने के बाद राख की तरह हो जाता है, जबकि एल्युमीनियम से बने वर्क हाथ में मलने के बाद रोल हो जाता है। इन मिठाइयों को खाने से तमाम प्रकार की बीमारियां होती हैं । क्या कहते हैं चिकित्सक
रंगीन व एल्युमीनियम से बने वर्क लगी मिठाई खाने से लिवर प्रभावित होता है। इसका असर तुरंत तो नहीं, लेकिन बाद में धीरे-धीरे होता है, इसलिए त्योहार के समय मिठाई लेते समय प्रतिष्ठित व सही दुकान की परख अवश्य करें।
-डा. एके मिश्रा, वरिष्ठ फिजीशियन व मुख्य चिकित्साधिकारी।