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लोककथा पर आधारित प्रयोगधर्मी नाटक चक्षुदोष का मंचन

आजमगढ़ संस्कृति विभाग के सहयोग से शनिवार को सूत्रधार संस्थान की नवीन प्रस्तुति नाटक चक्षुदोष का भावपूर्ण मंचन किया गया। प्रसिद्ध रंगकर्मी अभिषेक पंडित द्वारा लिखित नाटक की कथावस्तु लोककथा पर आधारित है। इसमें एक गड़रिया अपनी पत्नी को ब्याह कर घर ले आ रहा है। उसी समय राज्य के राजा भी अपनी पत्नी को ब्याह कर लौट रहे हैं। दोनों एक ही स्थान पर विश्राम करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 11:17 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 06:23 AM (IST)
लोककथा पर आधारित प्रयोगधर्मी नाटक चक्षुदोष का मंचन
लोककथा पर आधारित प्रयोगधर्मी नाटक चक्षुदोष का मंचन

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : संस्कृति विभाग के सहयोग से शनिवार को सूत्रधार संस्थान की नवीन प्रस्तुति नाटक चक्षुदोष का भावपूर्ण मंचन शारदा टाकीज किया गया। प्रसिद्ध रंगकर्मी अभिषेक पंडित द्वारा लिखित नाटक की कथावस्तु लोककथा पर आधारित है। इसमें एक गड़रिया अपनी पत्नी को ब्याह कर घर ले आ रहा है। उसी समय राज्य के राजा भी अपनी पत्नी को ब्याह कर लौट रहे हैं। दोनों एक ही स्थान पर विश्राम करते हैं।

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गड़रिया की पत्ती रानी के सोने के आभूषणों को देखकर मोहित हो जाती है। राजा-रानी अपने महल की ओर चले जाते हैं। गड़रिया भी अपने घर की ओर। गड़रिया की पत्नी अपने पति से रानी के आभूषण लाने को कहती है। गड़रिया पत्नी को बहुत समझाता लेकिन वह नहीं मानती। थक हार कर गड़रिया रानी के आभूषण चुराने राजा के महल में जाता है, जहां राजा रानी के सुहागरात में राजा रानी के अंगों को छूते हुए रानी से उनके बारे में पूछते हैं। रानी बहुत ही विदुषी हैं। गड़रिया इन सब बातों को सुनता है। रानी के विवेकवान उत्तर को सुनकर गड़रिया रानी के विचारों पर मोहित हो जाता है राजा और रानी के सो जाने के बाद गड़रिया रानी के आभूषण चुराकर अपने घर ले आता है। अपनी पत्नी से वही पांच सवाल पूछता है, जो राजा ने रानी से पूछा था। वह फूहड़ जवाब देती है जिस से दुखी हो गड़रिया वह सारे आभूषण लौटाने राजा के महल में जाता है। राजा उसकी ईमानदारी पर खुश होकर वह सारे आभूषण लौटा देते हैं। लोककथा को शास्त्रीय विन्यास में छाऊ शैली की चारी व मुद्राओं के जरिए कल्पनाशील निर्देशक ने बहुत ही सजीव ढंग से मंच पर कल्पित किया। नाटक की सबसे खास बात एक लोककथा का शास्त्रीय शिल्प विधान के तहत किया जाने वाला मंचन है। नाटक में कई तरह के नाटकीय युक्तियों का प्रयोग किया गया है जिससे नाटक के बीच में निर्देशक का प्रवेश और कथावस्तु से एक अलग तरह का विमर्श अभिनेताओं द्वारा किया गया, जो कि ब्रेख्तियन शैली से लिया गया है। इस प्रयोगधर्मी नाटक का सफलतापूर्वक निर्देशन का कमाल ख्यातिलब्ध रंगकर्मी अभिषेक पंडित ने किया।

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इनकी रही प्रमुख भूमिका

नाटक में प्रमुख गांव में रितेश रंजन, संदीप कुमार गौड़ स्मृति निधि, सत्यम शुक्ला, विपिन यादव, सूरज यादव, ज्ञानेंद्र यादव, पुनीत यादव, सत्येंद्र यादव आदि प्रमुख अभिनेताओं ने बहुत ही प्रभावशाली अभिनय किया। नाटक का मजबूत पक्ष उसकी नृत्य संरचना रही जिसे देश के जाने माने प्रशिक्षक भूमिकेश्वर सिंह ने किया। पटना के युवा रंग संगीतकार मो. जानी ने बहुत ही कर्णप्रिय संगीत संकल्पना किया। मंच परिकल्पना सुग्रीव विश्वकर्मा के द्वारा किया गया। रंग दीपन परिकल्पना जाने-माने प्रकाश रीवा से आए मनोज कुमार मिश्रा ने किया। वस्त्र परिकल्पना ममता पंडित, मुख्य सज्जा विवेक सिंह, नीरज सिंह व सहायक निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी डीडी संजय रहे।


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