सदर सीट पर सपा, लालगंज में बसपा ठोकेगी ताल
आजमगढ़ लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बजने में कुछ ही दिन बचे हैं। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर गठबंधन के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा तय की गई सीटों की घोषणा कर दी है। इसमें सपा सरंक्षक मुलायम ¨सह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ (सदर) सपा के ही खाते में रहेगी। जबकि लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा दोनों सीटों की पार्टीवार निर्धारण के बाद जिले की सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों व चट्टी- चौराहों पर इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि आखिर मुलायम ¨सह यादव की विरासत का दावेदार कौन होगा और लालगंज सुरक्षित सीट पर बसपा के किस जिताऊ प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जाएगी।
जासं, आजमगढ़ : लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बजने में कुछ ही दिन बचे हैं। सभी पार्टियां चुनाव की तैयारी में जुट गई हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर गठबंधन के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा तय की गई सीटों की घोषणा कर दी है। इसमें सपा संरक्षक मुलायम ¨सह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ (सदर) सपा के ही खाते में रहेगी, जबकि लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्षों द्वारा दोनों सीटों की पार्टीवार निर्धारण के बाद जिले की सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों व चट्टी-चौराहों पर इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि आखिर मुलायम ¨सह यादव की विरासत का दावेदार कौन होगा और लालगंज सुरक्षित सीट पर बसपा के किस जिताऊ प्रत्याशी के नाम की घोषणा होगी।
2014 के लोकसभा चुनाव में सपा संरक्षक मुलायम ¨सह यादव भाजपा उम्मीदवार पूर्व सांसद रमाकांत यादव से लगभग 63 हजार के मतों से चुनाव जीते थे। हालांकि तब उनके साथ उनका पूरा कुनबा था। उनके छोटे भाई शिवपाल ¨सह यादव, सांसद धर्मेंद्र यादव ने तो जिले में डेरा ही डाल दिया था। खास बात यह रही कि मुलायम ¨सह यादव की जीत के पीछे केवल सपा के मूल मतदाता ही नहीं, बल्कि जनपद के प्रबुद्धजनों ने विकास के दावे और वादे को देखते हुए उनका साथ दिया था। वर्तमान में केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में मंथन के बाद भाजपा भी किसी भी सूरत में आजमगढ़ सीट पर जीत दर्ज करने के लिए अंतिम समय तक कोई भी निर्णय ले सकती है। हालांकि कई नामों की चर्चा चल रही है। अभी पिछले दिनों कई प्रांतों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनाने में सपा-बसपा ने भी साथ दिया। अब सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। कुछ इसी प्रकार की स्थिति लोकसभा सीट लालगंज की है, जहां से भाजपा की नीलम सोनकर सांसद हैं, उन्होंने सपा के बेचई सरोज का लगभग 63 हजार मतों से पराजित किया था। बहरहाल, गठबंधन के बाद बदले हालत में दोनों पार्टियां किसी प्रत्याशी बनाती है, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।