पति, सास-ससुर व ननद को छह वर्ष की कठोर कारावास
आजमगढ़ : दीवानी न्यायालय में शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर-2 अशहद अह
आजमगढ़ : दीवानी न्यायालय में शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर-2 अशहद अहमद हाशमी ने महिला को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के मामले में पति, सास-ससुर व ननद को छह-छह साल कठोर कारावास तथा चारों को 5000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा रामसुख पुत्र गुल्लू राजभर निवासी ग्राम खजुरी थाना मेंहनगर ने पुत्री कुसुम की शादी योगेंद्र पुत्र इंद्रजीत निवासी अहिरौली थाना देवगांव के साथ आठ मई 1991 को की थी। शादी में कुसुम विदा होकर अपने ससुराल नहीं गई। लगभग पांच वर्ष बाद जब उसका गौना हुआ तब ससुराल गई। ससुराल में पति योगेंद्र, ससुर इंद्रजीत, सास गणेशा देवी तथा ननद पूनम दहेज में रंगीन टीवी तथा मोटरसाइकिल की मांग को लेकर उसे आए दिन प्रताड़ित करने लगे। घटना के कुछ दिन पूर्व जब कुसुम के पिता रामसुख खिचड़ी लेकर अपनी लड़की के घर गए थे तब उसने अपनी सारी आपबीती उनसे बताई थी। दो जनवरी 1999 को कुसुम के ससुराल के गांव वालों ने कुसुम के मायके वालों को सूचना दी कि उनकी लड़की झगड़ा कर घर छोड़कर चली गई है। सात दिन बाद नौ जनवरी 1999 को कुसुम की लाश उसके ससुराल के घर के पीछे पोखरी में मिली। घटना के समय कुसुम का एक बच्चा भी था जो उस समय चार माह का था। वादी मुकदमा रामसुख ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156/3 के माध्यम से प्रार्थना पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। इस पर न्यायालय ने अभियोग पंजीकृत करने आदेश पारित किया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 304बी के तहत मुकदमा कायम किया तथा विवेचना पूर्ण करके भारतीय दंड संहिता की धारा 306/34 के तहत चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया।