शिव धनुष टूटने के साथ राम की हो गई सीता जी
जागरण संवाददाता माहुल (आजमगढ़) रामलीला मैदान में चल रही ऐतिहासिक रामलीला के पांचवें
जागरण संवाददाता, माहुल (आजमगढ़) : रामलीला मैदान में चल रही ऐतिहासिक रामलीला के पांचवें दिन सोमवार की रात धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का मंचन कलाकारों द्वारा किया गया। भगवान शिव के धनुष को श्रीराम द्वारा खंडित करने के साथ माता सीता ने उनके गले में वरमाला डाली तो श्रीराम नाम के जयकारे से पूरा पंडाल गूंज उठा।
मिथिला नरेश महाराजा जनक ने सीता जी के विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया। उन्होंने यह शर्त रखी कि जो भी इस धनुष को खंडित कर देगा उसी से सीता का विवाह होगा। इसके लिए तमाम देशों के राजाओं को आमंत्रित किया। उधर महर्षि नारद ने लंकापति रावण और पाताल नरेश बाणासुर को जब यह बात बताई तो दोनों आक्रोशित होकर स्वयंवर स्थल पर पहुंचे। तमाम राजाओं ने धनुष तोड़ना चाहा पर वे उसे हिला तक नहीं सके। उसके बाद महाराजा जनक कहने लगे कि लगता है पृथ्वी वीरों से खाली है।
उसके बाद गुरु विश्वामित्र की आज्ञा लेकर भगवान राम ने शिव धनुष को उठाकर खंडित कर दिया और सीता ने राम के गले में वररमाला डाल दिया। यह ²श्य देख दर्शक झूम उठे और जयश्रीराम के नारे लगाने लगे। भगवान राम के रूप के बजरंगी मोदनवाल, लक्ष्मण अमित अग्रहरि, रावण संदीप अग्रहरि, सीता की भूमिका शीतला गुप्ता व जनक की भूमिका उपदेश शुक्ला व जनक जी के मंत्री के रूप में गोपाल अग्रहरि ने मंचन किया। इस मौके पर रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिकेश गुप्ता, बसंत लाल सेठ, संजय मोदनवाल, बृजेश मौर्या, राकेश सिंह आदि रहे।