डायलिसिस यूनिट पर छाया कोरोना का संकट
आजमगढ़ मंडलीय अस्पताल में स्थापित हेरिटेज संस्था की डायलिसिस यूनिट भगवान के भरोसे चल रही है। जिस व्यवस्था में कोरोना संकट से पहले चल रही थी वही व्यवस्था अभी भी लागू है। यूनिट में न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था और न ही डॉक्टरों व कर्मियों को सुरक्षा किट दी गई। कर्मचारी अपने खर्च से मास्क ग्लब्स एवं हैंडवाश खरीदकर उपयोग करते हैं।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : मंडलीय अस्पताल में स्थापित हेरिटेज संस्था की डायलिसिस यूनिट भगवान भरोसे चल रही है। कोरोना संकट से पहले जो व्यवस्था यहां थी वही आज भी है। यूनिट में न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था और न ही डॉक्टरों व कर्मियों को सुरक्षा किट दी गई। कर्मचारी अपने खर्च से मास्क, ग्लब्स एवं हैंडवाश खरीदकर उपयोग करते हैं।
डायलिसिस यूनिट प्रभारी डा. उदय शंकर पांडेय ने बताया कि आइसोलेशन वार्ड से ज्यादा खतरा डायलिसिस यूनिट में है। यहां मरीज के खून का ही इलाज होता है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति यूनिट में आ गया तो पूरा स्टॉफ एवं मरीजों को क्वारंटाइन करना पड़ेगा। यहां प्रतिदिन 13 बेड पर 39 मरीजों का डायलिसिस होता है। मरीज जब यूनिट पर पहुंचता है तो बाहर ही पूछताछ कर लक्षण जाना जाता है। लक्षण मिला तो आइसोलेशन वार्ड में भेजकर जांच कराई जाती है। अब तक छह लोगों की जांच कराई जा चुकी है। अभी इनमें से किसी की रिपोर्ट नहीं आई है। विभाग से कुछ सुविधा नहीं दी गई। बीच में कई जगह शिकायत करने पर पांच पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट) किट दी गई, लेकिन उसके बाद कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। बाहर से मरीज आते रहते हैं और उनके बीच में काम करना पड़ता है जो किसी खतरे से कम नहीं है। विभाग को कहा गया है लेकिन सुरक्षा किट कब मिलेगी पता नहीं।
वर्जन::::
-सरकार का हेरिटेज से अनुबंध है। जिला अस्पताल में सिर्फ जगह दी गई है। यदि उनको किसी चीज की आवश्यकता है तो एसआइसी को लिखकर दें अथवा हेरिटेज से मांग करें। डायलिसिस यूनिट में पहले ही कह दिया गया था कि सुरक्षा के लिए व्यवस्था कर लें।
-डॉ. एके मिश्रा, सीएमओ।