'सिक्योर साफ्टवेयर' रोकेगा मनरेगा में धांधली
राजीव गांधी ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना (मनरेगा) में होने वाली तमाम धांधली को 'सिक्योर साफ्टवेयर' अब रोक लगाएगा। इसके द्वारा कार्यों का ऑनलाइन इस्टीमेट तैयार किया जाएगा। कार्यों का विवरण क्लिक करते ही धनराशि ऑनलाइन दिखने लगेगी और कार्यों का भुगतान आसानी से किया जाएगा। कार्यदायी संस्था भी अब इसकी स्वीकृति के लिए परेशान नहीं होगी और न ही अधिकारियों के यहां चक्कर लगाएगी। इसके लिए हर अधिकारी का अलग-अलग यूजर आईडी व पासवर्ड होगा।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में होने वाली तमाम धांधली को 'सेक्योर साफ्टवेयर' अब रोक लगाएगा। इसके द्वारा कार्यो का ऑनलाइन इस्टीमेट तैयार किया जाएगा। कार्यो का विवरण क्लिक करते ही धनराशि ऑनलाइन दिखने लगेगी और कार्यो का भुगतान आसानी से किया जाएगा। कार्यदायी संस्था भी अब इसकी स्वीकृति के लिए परेशान नहीं होगी और न ही अधिकारियों के यहां चक्कर लगाएगी। इसके लिए हर अधिकारी का अलग-अलग यूजर आइडी व पासवर्ड होगा।
साफ्टवेयर से तकनीकी, प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति किए जाने का समय भी निर्धारित कर दिया जाएगा। सक्षम अधिकारियों को नियम समय के अंदर ही तकनीकी व प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति दिया जाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए ट्रे¨नग के लिए बनारस में डीसी मनरेगा, एपीओ व चार तकनीकी सहायकों की ट्रे¨नग कराई जा चुकी है। इसी के तहत एक जीआइएस की ट्रे¨नग लखनऊ में बुलाई गई है। सेक्योर साफ्टवेयर में सारा इस्टीमेट ऑनलाइन हो जाएगा। इसके अलावा सामान के रेट भी ऑनलाइन रहेगा और निर्धारित सीमा भी अपलोड रहेगी। इसमें बढ़ाने व घटाने की बात नहीं हो सकती है यानी जितना काम होगा उतना पैसा दिया जाएगा। एक ही काम के लिए अलग-अलग स्थानों पर बनाए जाने वाले प्राक्कलन में समानता होगी, क्योंकि उच्च स्तर पर इसकी मानीट¨रग की जाएगी। अगर कहीं कोई गड़बड़ी पाई जाएगी तो संबंधित अधिकारी का दायित्व निर्धारित कर कार्रवाई की जाएगी। इस साफ्टवेयर से पूरी तरह से धांधली पर पाबंदी लग जाएगी। इससे मनरेगा पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगी। जियोग्राफिक इन्फारमेंशन सिस्टम भी होगा लागू : सीडीओ
मुख्य विकास अधिकारी डा. डीएस उपाध्याय ने बताया कि यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है। इसकी मदद से टारगेट एरिया की मै¨पग की जाती है। इसके बाद प्राप्त डाटा के माध्यम से ऑफिस में बैठे ही उस पूरे क्षेत्र की सटीक जानकारी हासिल की कर ली जाएगी। खासकर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल टाउन प्लानर, मै¨पग में किया जाएगा, यानी आफिस से बैठकर देखा जाएगा कि किस गांव में कितना काम हुआ है। हर ग्राम पंचायतों में हुए कार्यो का आकलन भी कर लिया जाएगा। ''हर प्रणाली हर हाल में मनरेगा मजदूरों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। अब काम करने के साथ ही मनरेगा मजदूरों को मजदूरी के लिए भटकना नहीं होगा। कार्य जितना करेंगे उतने का भुगतान ऑनलाइन किया जाएगा।''
-बीबी ¨सह, डीसी मनरेगा।