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आजमगढ़ से फतेहगढ़ जेल भेजे गए सपा विधायक रमाकांत यादव, अखिलेश यादव ने जेल में की थी मुलाकात

समाजवादी पार्टी के विधायक रमाकांत यादव की जेल आजमगढ़ से फतेहगढ़ कर दी गई है। शनिवार की सुबह नौ बजे वाहन से रमाकांत को दूसरे जेल में स्‍थानांतरित करने की जानकारी जेल प्रशासन की ओर से जारी की गई है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 10 Sep 2022 11:03 AM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2022 11:16 AM (IST)
आजमगढ़ से फतेहगढ़ जेल भेजे गए सपा विधायक रमाकांत यादव, अखिलेश यादव ने जेल में की थी मुलाकात
आजमगढ़ जेल से रमाकांत यादव को शनिवार की सुबह फतेहगढ़ जेल भेज दिया गया है।

आजमगढ़, जागरण संवाददाता। शासन के निर्देश पर आजमगढ़ जेल में बंद समाजवादी पार्टी विधायक रमाकांत यादव को फतेहगढ़ जेल अब भेज दिया गया है। जेल प्रशासन के अनुसार जेल की व्यवस्था को देखते हुए रमाकांत यादव को फतेहगढ़ जेल में भेजा गया है। 

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माहुल जहरीली शराब कांड समेत कई मामलों में जेल में निरुद्ध फूलपुर पवई के सपा विधायक रमाकांत यादव को शासन के निर्देश पर आजमगढ़ जिला कारागार से फतेहगढ़ जेल भेजने की जानकारी मिलने के बाद समाजवादी पार्टी स्‍तर पर इस प्रकरण की सुबह से ही चर्चा हो रही है। बीते दिनों जेल में जाकर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उनसे मुलाकात कर जिले के सियासी हालात को लेकर चर्चा की थी। उसके बाद से ही रमाकांत को लेकर जिले में गहमागहमी चल रही थी।

रमाकांत यादव पर वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव के दौरान अंबारी, 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान सरायमीर में सपा के एजेंट से मारपीट का मुकदमा पहले से दर्ज था। पिछले दिनों अंबारी में फायरिंग मामले में वह अदालत में पेश किए गए थे जहां से न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया था। वहीं पुलिस की विवेचना के दौरान उनका नाम माहुल जहरीली शराब कांड में भी सामने आया इस आधार पर उन्हें गैंगेस्टर में भी निरुद्ध किया गया था। उनके जेल में स्‍थानांतरण की जानकारी आजमगढ़ जेल के जेलर ने देते हुए बताया कि निर्देश आने के बाद सुबह नौ बजे तक रमाकांत यादव को दूसरी जेल में स्‍थानांतरित कर दिया गया है।

आजमगढ़ में रमाकांत का सियासी सफर : जिले का मिजाज मुस्लिम, यादव, अनुसूचित जाति बाहुल्यता के कारण पूर्वांचल के दूसरे जिलों से काफी अलग है। यहां पर ऐसे रणबांकुरे, जिन्हें परास्त करना मुश्किल रहा है। रमाकांत की यादवों में लोकप्रियता सबसे ऊपर जिले में कई मौकों पर साबित हुई है। नौंवी बार सदर विधायक चुने गए दुर्गा प्रसाद को यादव अपना नेता मानते हैं, लेकिन वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में बसपा से उम्मीदवारी रमाकांत ने की, तो दुर्गा प्रसाद काे हार झेलनी पड़ी। वर्ष 2008 में रमाकांत की सपा से नजदीकियां भांप बसपा ने उनकी सदस्यता खत्म करा दी तो सपा ने भी टिकट नहीं दिया, फिर भाजपा से वह लड़े तो खुद दूसरे स्थान, तो सपा के बलराम यादव को तीसरे स्थान पर पहुंचा दिए। ये कुछ आंकड़े चार बार सांसद और चार बार विधायक रहे रमाकांत के प्रभाव काे जिले में दर्शाने के लिए प्रर्याप्त हैं।


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