भये प्रकट कृपाला दीन दयाला, कौशल्या हितकारी
जासं बिद्राबाजार (आजमगढ़) स्थानीय बाजार में रामलीला देखने को भारी संख्या में दर्शक पहुंच रहे हैं। कलाकारों ने राम जन्म की कथा का ऐसा मंचन किया जिसे देख दर्शक खुद ऐसा महसूस कर रहे थे मानो वह खुद दशरथ के महल में सभी को राम जन्म की बधाईयां दे रहे हों। भगवान राम का जन्म होने पर पूरे पंडाल में भये प्रकट कृपाला दीन दयाला ...कौशल्या हितकारी आदि शब्दों से गूंजने लगा।
जासं, बिद्राबाजार (आजमगढ़) : स्थानीय बाजार में रामलीला देखने को भारी संख्या में दर्शक पहुंच रहे हैं। कलाकारों ने राम जन्म की कथा का ऐसा मंचन किया, जिसे देख दर्शक खुद ऐसा महसूस कर रहे थे मानो वह खुद दशरथ के महल में सभी को राम जन्म की बधाइयां दे रहे हों। भगवान राम का जन्म होने पर पूरे पंडाल में भये प्रकट कृपाला दीन दयाला, कौशल्या हितकारी.. गूंजने लगा।
कलाकारों द्वारा रविवार को राम जन्म और दशरथ दरबार में विश्वामित्र आगमन का मंचन किया गया। इसमें वर्षों से पुत्र वियोग में डूबे राजा दशरथ की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए ऋषि वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि द्वारा यज्ञ कराया। इससे प्रसन्न होकर यज्ञ देव द्वारा दिए गए प्रसाद से राजा दशरथ के चार पुत्रों ने जन्म लिया। प्रभु श्रीराम के बाल्यावस्था का दर्शन करने के लिए भगवान शिव मदारी का रूप बनाकर बंदर लेकर अयोध्या पहुंचे और राजा दशरथ के सामने नाचने गाने लगे। तभी श्रीराम बंदर लेने की जिद कर बैठे। इसके बाद गुरु विश्वामित्र राजा दशरथ के पास अयोध्या पहुंचे। यहां उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि राक्षस उनके यज्ञ में व्यवधान डाल रहे हैं। यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को उनके साथ भेजा जाए। राजा दशरथ ने कहा कि राम और लक्ष्मण उन्हें प्राणों से प्यारे हैं, छोटे बालक किस प्रकार से राक्षसों से उनकी रक्षा कर पाएंगे। वे चाहें तो सेना भेज दी जाएगी लेकिन जब गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाया कि राम और लक्ष्मण यज्ञ की रक्षा के साथ ही विश्वामित्र से धनुष यज्ञ का ज्ञान भी हासिल करेंगे तो राजा दशरथ ने राम और लक्ष्मण को उनके साथ भेज दिया। इस अवसर पर रामलीला कमेटी के अध्यक्ष रूप नारायण उपाध्याय, राधे श्याम सेठ, मुन्ना शर्मा, शिव प्रकाश मोदनवाल, अजय विश्वकर्मा व लबेदी विश्वकर्मा सहित आदि उपस्थित थे।