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पुण्य और उपासना का महीना है रमजान

जागरण संवाददाता सरायमीर (आजमगढ़) जामिया शरिया फैजुल ओलूम सरायमीर के शिक्षक मुफ्ती मोहम्मद आजम कासमी ने कहा कि रमजानुल मुबारक का महीना बहुत ही पवित्र और महान है। दिन के रोजे और रात की इबादत को बेहद महानता और प्रमुखता हासिल है। इसकी वजह से इस पावन महीने को पुण्य और उपासना का महीना कहा जाता है। उन्होंने बताया कि रोजा का प्रमुख उद्देश्य इंसान के दिल में अल्लाह का डर तथा गलत कार्य एवं बुरे कर्तव्य से घृणा का पैदा होना है। इसलिए कि रोजा केवल उपवास का नाम नहीं है बल्कि उपवास के साथ गुनाहों और बुरे कार्य से बचने का नाम है। रोजे की स्थिति में

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 05:32 PM (IST)
पुण्य और उपासना का महीना है रमजान
पुण्य और उपासना का महीना है रमजान

जासं, सरायमीर (आजमगढ़) : जामिया शरिया फैजुल ओलूम सरायमीर के शिक्षक मुफ्ती मोहम्मद आजम कासमी ने कहा कि रमजानुल मुबारक का महीना बहुत ही पवित्र और महान है। दिन के रोजे और रात की इबादत को बेहद महानता और प्रमुखता हासिल है। इसकी वजह से इस पावन महीने को पुण्य और उपासना का महीना कहा जाता है।

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उन्होंने बताया कि रोजा का प्रमुख उद्देश्य इंसान के दिल में अल्लाह का डर तथा गलत कार्य एवं बुरे कर्तव्य से घृणा का पैदा होना है। इसलिए कि रोजा केवल उपवास का नाम नहीं है, बल्कि उपवास के साथ गुनाहों और बुरे कार्य से बचने का नाम है। रोजे की स्थिति में गलत बोलने, करने, सुनने और दूसरे की बुराई करने की सख्त मनाही होती है। जब इंसान इन आदेशों और उद्देश्यों के अनुसार रमजान में अपना समय गुजरता है तो अल्लाहताला उसकी आत्मा को पवित्र कर देते हैं। उसके मन में नेक और अच्छे कार्य के प्रति भावना बढ़ जाती है। आपस में एकता और प्रेम का भाव बढ़ जाता है। हजरत मोहम्मद सल्लाहु अलयही वसल्लम ने इस महीने के पहले अशरे (शुरुआती दस दिन) को रहमत का अशरा करार दिया है।


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