होल सेल पर जहर, फुटकर के लिए अमृत' बना कोरोना
आजमगढ़ कोरोना वायरस को लेकर जिले में भी खौफ कम नहीं है। हर कोई उससे बचने के लिए ीहर वह सावधानी बरत रहा है जिसे जो जानकारी मिल रही है। चर्चाओं को भी बल मिल रहा है तो बाजार पर भी इसका असर साफ दिख रहा है। खासतौर से मुर्गा और अंडा व्यवसाय पर इसका प्रभाव देखा जा रहा है। हालांकि इसकी मार थोक व्यापार पर ही ज्यादा पड़ रही है। थोक कारोबारी औने-पौने दाम पर माल खपा रहे हैं जबकि फुटकर में रेट पहले की तरह है। यानी होल सेल
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कोरोना वायरस को लेकर जिले में भी खौफ कम नहीं है। हर कोई उससे बचने के लिए हर वह सावधानी बरत रहा है जिसे जो जानकारी मिल रही है। चर्चाओं को भी बल मिल रहा है तो बाजार पर भी इसका असर साफ दिख रहा है। खासतौर से मुर्गा और अंडा व्यवसाय पर इसका प्रभाव देखा जा रहा है।
हालांकि, इसकी मार थोक व्यापार पर ही ज्यादा पड़ रही है। थोक कारोबारी औने-पौने दाम पर माल खपा रहे हैं, जबकि फुटकर में रेट पहले की तरह है। यानी होल सेल कारोबार के लिए कोरोना जहर तो फुटकर व्यवसाय के लिए अमृत साबित हो रहा है।
जिले में कुल 221 मुर्गी फार्म हैं जिसमें 20 में अंडा और बाकी में मुर्गा उत्पादन होता है। एक दिन में औसत चार लाख अंडा और तीन लाख मुर्गा का उत्पादन होता है। ऐसे में माल कहां खपाया जाए, समझ में नहीं आ रहा है। उधर फुटकर व्यापारियों की बल्ले-बल्ले है।
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क्या कहते हैं होल सेलर
होल सेलर विजय सिंह का कहना है कि बाजार मंदा होने के कारण माल जाम है। हालत यह है कि एक अंडे की लागत चार रुपये आती है जिसे पहले पांच रुपये की दर से बेचा जाता था। लेकिन आज तीन रुपये भी नहीं मिल पा रहे हैं। लागत निकालना मुश्किल हो गया है। मुर्गा कारोबार का भी यही हाल है। तीस से पैंतीस रुपये में चूजा मिलता है। 40 से 45 दिन में मुर्गा तैयार होने पर सौ रुपये तक बेचा जाता है लेकिन बिक्री न होने के कारण इस समय 35 रुपये किलो के भाव बेचना पड़ रहा है।
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क्या कहते हैं फुटकर कारोबारी
बेलइसा में मुर्गा का फुटकर व्यवसाय करने वाले अलाऊ का कहना है कि पहले की अपेक्षा ग्राहक कम आ रहे हैं। लेकिन मुनाफा में कमी नहीं आई है। कारण कि थोक में माल सस्ता मिल रहा है। ऐसे में कमाई पर कोई असर नहीं है।
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वर्जन--सीवीओ
''कोरोना वायरस का अंडा और मुर्गा से कोई लेना-देना नहीं है और ना ही अभी तक ऐसी कोई बात सामने आई है लेकिन लोग अपने स्तर से एहतियात बरत रहे हैं। विभाग भी अपने स्तर से खुद सतर्क रहता है। इसके लिए हर महीने 20 से 25 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाता है।
--डा. वीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।