अब पौधों के वृद्धि में सहायक बनेगा जीवामृत
पौधों के बढ़वार में संजीवनी साबित होगा जीवामृत। यह जैविक खाद है जो पौधों की सेहत को संजीवनी देकर विभिन्न रोगाणुओं से भी सुरक्षा करता है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : पौधों के बढ़वार में संजीवनी साबित होगा जीवामृत। यह जैविक खाद है, जो पौधों की सेहत को संजीवनी देकर विभिन्न रोगाणुओं से भी सुरक्षा करता है। वन विभाग जीवामृत को 24 पौधशालाओं में तैयार कर रहा है। एक जुलाई को रोपे जाने वाले पौधों पर भी इसका प्रयोग करने की रणनीति बनी है। इसे किसान भी अपनाकर अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं। इसके प्रयोग से सूक्ष्म तत्व सक्रिय होने के साथ ही पौधों की बढ़वार में रफ्तार आएगी।
शासन ने वन विभाग को पौधों के लिए जीवामृत अपनाने का निर्देश दिया है। इससे जमीन पर उतारने में अधिकारी 24 पौधशालाओं में पसीना बहाना शुरू कर दिए हैं। इसके बाद रोपे गए सभी पौधों पर भी इसका इस्तेमाल करेगा। वैज्ञानिक गोमूत्र से जीवामृत तैयार करने की नई खोज की है। हालांकि इसे बनाने में सबसे महत्वपूर्ण बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी सबसे अहम होती है। क्योंकि बरगद और पीपल के पेड़ हर समय ऑक्सीजन उगलते हैं। ऑक्सीजन देने वाले पेड़ के नीचे जीवाणुओं की संख्या अधिक होती है। ये जीवाणु खेती के लिए लाभदायक होते हैं।
जीवामृत बनाने की विधि
10 किलोग्राम देशी गाय का गोबर, 10 लीटर देशी गौमूत्र, एक किलोग्राम पुराना गुड़ या चार लीटर गन्ने का रस, दो किलोग्राम किसी भी दाल का आटा, दो किलोग्राम सजीव मिट्टी एवं 200 लीटर पानी को एक मिट्टी के मटके या प्लास्टिक की टंकी में डालकर अच्छी तरह मिश्रण करें।
वर्जन:::
जीवामृत का प्रयोग पौधों को संजीवनी देने के लिए विभाग करेगा। इसकी तैयारी वृहद स्तर पर की जा रही है। इसका घोल बनाकर पौधों में छिड़काव करने से परिणाम बेहतर दिखेंगे। पौधों के पीले पत्ते गहरे हरे रंग के हो जाएंगे। पौधे तेजी से बढ़ने लगेंगे। किसान इससे आसानी से तैयार कर लाभ उठा सकते हैं।
नीरज आर्या, एसडीओ, वन विभाग।