चिकित्सक की डिग्री नहीं पर क्षेत्र के अवधूत
अतरौलिया (आजमगढ़) पास में चिकित्सक की डिग्री नहीं है। घर से भी बहुत संपन्न नहीं हैं लेकिन भगवान अवधूत राम को अपना आदर्श मानते हुए किसी भी बेसहारा की सेवा को हमेशा तत्पर रहते हैं।
जागरण संवाददाता, अतरौलिया (आजमगढ़) : पास में चिकित्सक की डिग्री नहीं है। घर से भी बहुत संपन्न नहीं हैं लेकिन भगवान अवधूत राम को अपना आदर्श मानते हुए किसी भी बेसहारा की सेवा को हमेशा तत्पर रहते हैं। जिस जख्म को देखकर लोग एक बारगी आंख बंद कर लेते हैं उस पर मरहम-पट्टी करना उनके लिए खुशी की बात होती है। कहते हैं कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। उसमें भी किसी बेसहारा की सेवा करने से आत्मिक सुख की अनुभूति होती हैं।
जिले के अतरौलिया क्षेत्र के रहने वाले विनोद इसी भावना से अपने काम को अंजाम देते हैं। विनोद गुप्ता क्षेत्र के मानसिक रूप से विक्षिप्त, दिव्यांग, लावारिसों लोगों का इलाज खुद करते हैं। कस्बा निवासी कमला प्रसाद गुप्ता के दूसरे पुत्र विनोद साधन संपन्न तो नहीं लेकिन दिल से धनवान हैं।
विनोद बताते हैं कि 1988 से अस्पतालों में आना-जाना हुआ। देखा कि मानसिक रूप से विक्षिप्त, अति बुजुर्ग लोगों को कोई असाध्य रोग होता है तो उनके परिजन भी उनसे कन्नी काट लेते हैं। ऐसे में तमाम लोगों को हास्पिटल के गेट पर तड़पते देखा। उसी समय मैंने यह प्रण कर लिया कि अब कोई भी असहाय दर्द से कराह नहीं पाएगा। हमने इसके लिए बीड़ा उठाया और ऐसे लोगों के इलाज में जो आर्थिक अड़चनें आ रही थीं उसे समाज के कुछ अच्छे लोगों ने दूर करना शुरू कर दिया। विनोद बताते हैं कि अतरौलिया कस्बा की शांति नामक महिला का पैर पूरी तरह सड़ चुका था। वह विक्षप्त भी थी। दवा के अभाव में जख्म में कीड़े पड़ गए थे। कोई उसका दर्द समझ नहीं रहा था तो मैंने उसका इलाज करके पैर कटने से बचा लिया। इस कार्य से हमको जो खुशी की अनुभूति हुई उसको हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते।