Move to Jagran APP

गाड़ी न चालक, हाइड्रेंट भी जमींदोज, कैसे बुझेगी आग

शहर से लेकर ग्रामीण अंचल की बाजारों में एक पर एक कर कई बहुमंजिल इमारतें खड़ी होती जा रही है। इन भवनों में मानक के विपरित होटल, व्यवसायिक प्रतिष्ठान व अस्पताल संचालित हो रहे हैं। अ

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 06:40 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 06:40 PM (IST)
गाड़ी न चालक, हाइड्रेंट भी जमींदोज, कैसे बुझेगी आग
गाड़ी न चालक, हाइड्रेंट भी जमींदोज, कैसे बुझेगी आग

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक के बाजारों में बहुमंजिली इमारतें खड़ी होती जा रही हैं। इन भवनों में मानक के विपरीत होटल, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व अस्पताल संचालित हो रहे हैं। अधिकतर प्रतिष्ठान, अस्पताल व होटलों में मानक के अनुसार न तो अग्निशमन यंत्र लगे हैं और न ही आग से बचाव का कोई पुख्ता इंतजाम है। अधिकारियों की उदासीनता से कभी भी दिल्ली जैसी बड़ी घटना अपने जिले में भी घटित हो सकती है। जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की बाजारों में धड़ल्ले के साथ दो से तीन मंजिला भवन बनते जा रहे हैं, जबकि इन भवनों के निर्माण के लिए नियम को ताख पर रखकर जिम्मेदार अधिकारी भवन का नक्शा भी पास कर दे रहे हैं। दर्जनों की संख्या में अस्पताल, होटल के साथ ही शा¨पग मॉल खुल गए हैं। इन प्रतिष्ठानों में अग्निशमन यंत्र, फायर एक्स¨टग्यूशर, होजरील समेत अन्य अग्नि निरोधक यंत्र नहीं लगे हैं। 23 फरवरी को शहर के ठंडी सड़क पर स्थित रिहायशी कालोनी में भंडारण कर रखे गए मोबिल के गोदाम में भीषण आग लग गई थी। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति के बाद भी रोक के ठोस उपाय नहीं हुए। कुल मिलाकर जिले की व्यवस्था ऊपर वाले के भरोसे ही चल रही है। अग्निशमन विभाग के इंतजाम

loksabha election banner

जिले में चार फायर सब स्टेशन हैं, इनमें ब्रह्मस्थान (सदर), बूढ़नपुर (पियरिया), लालगंज व महराजगंज तथा रौनापार, फूलपुर व मुबारकपुर में अस्थाई सब स्टेशन कहां कितनी हैं फायर गाड़ियां

ब्रह्मस्थान सदर में नौ गाड़ियां हैं, इसमें चार बड़ी गाड़ी, दो हाई प्रेशर की छोटी गाड़ी, एक बोलेरो व एक जीप इसमें दो खराब हैं, बूढ़नपुर व लालगंज में दो-दो गाड़ियां तथा महराजगंज में एक गाड़ी है। सीमित संसाधनों से जूझ रहे अग्निशमन विभाग

जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं भी आग लगने की घटना पर पानी एकत्र करने की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी खत्म होने पर वापस दूसरी गाड़ी लानी पड़ती है। यही नहीं विभाग की सबसे बड़ी समस्या वाहन चालक की भी है। सड़कों के चौड़ीकरण से नीचे दब गए हाइड्रेंट

शहर के सड़कों की चौड़ीकरण के चलते आग से बचाव के लिए बनाए गए हाइड्रेंट सड़कों के नीचे दब गए। शहर के अंदर 18 स्थानों पर हाइड्रेंट बनाए गए थे। सड़कों के नीचे दबे हाइड्रेंट के प्रति न तो अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को ¨चता हैं और न ही नगर पालिका प्रशासन को। ''शहर के अंदर जितने भी शा¨पग कांप्लेक्स, होटल, अस्पताल व बहुमंजिली इमारतें बन रही हैं, इसका नक्शा एडीए व नपा की ओर से मानक की अनदेखी कर पास कर दिया जाता है, जबकि इन संस्थानों का नक्शा पास करने से पूर्व यह सुनिश्चित करना होता है कि क्या वे अग्निशमन विभाग के मानक के अनुसार बन रहे हैं या नहीं। रही शहर के अंदर हाइड्रेंट की तो वह नपा की जिम्मेदारी है। अग्निशमन विभाग के पास पूरे संसाधन मौजूद हैं। अगर अग्निशमन विभाग के एनओसी के बगैर जितने भी व्यावसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।''

-बबलू कुमार, पुलिस अधीक्षक। ''ऐसा नहीं हैं कि शहर के अंदर जितने अस्पताल, शा¨पग कांप्लेक्स या होटल हैं वे सभी अग्निशमन विभाग के मानक के विपरीत हैं। नगर क्षेत्र में स्थित 15 प्राइवेट अस्पताल, चार बड़े होटल, दो शा¨पग कांप्लेक्स ऐसे हैं जहां आग से बचाव के लिए पूरा संसाधन मौजूद है। इन प्रतिष्ठानों को विभाग की ओर से एनओसी भी जारी किया गया है। शेष अन्य अस्पताल, होटल व शा¨पग कांप्लेक्स मालिकों को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के बाद भी अगर वे अपने प्रतिष्ठानों पर आग से बचाव के लिए यंत्रों को नहीं लगवाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।''

-सत्येंद्र पांडेय, मुख्य अग्निशमन अधिकारी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.