मरम्मत पर लाखों खर्च, फिर भी सिचाई की समस्या बरकरार
जासं आजमगढ़ जिले के अधिकतर राजकीय नलकूपों का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कारण कि नालियां जर्जर हो चुकी हैं और खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि विभाग द्वारा हर वर्ष नाली की मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं।
जासं, आजमगढ़ : जिले के अधिकतर राजकीय नलकूपों का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। कारण कि नालियां जर्जर हो चुकी हैं और खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि विभाग द्वारा हर वर्ष नाली की मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं।
नलकूपों का बेहतर तरीके से उपयोग न होने से गेहूं की फसल सूख रही है और फसल बचाने के लिए किसानों को निजी नलकूपों का सहारा लेना पड़ रहा है। सिचाई में किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए जिले में 758 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं। इन नलकूपों से करीब 46 हजार हेक्टेयर खेत की सिचाई होती है। क्षेत्र में अधिकतर नालियां जर्जर हो गई हैं जिससे किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच पाता है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष मरम्मत के लिए शासन से 12 हजार 500 रुपये मिलते हैं। इस प्रकार प्रति वर्ष लाखों रुपये मिलता है। कुछ ब्लाकों को छोड़ दिया जाए तो बहुतायत ब्लाकों की यही स्थिति है। कहीं नाली कूड़े-कचरे से पटी है तो कहीं क्षतिग्रस्त। इससे किसानों को थक हार कर निजी नलकूपों से सिचाई करानी पड़ रही है। गेलवारा गांव के पुरुषोत्तम, रिकू, राहुल व रामआसरे ने बताया कि नलकूप तो सही है लेकिन नाली न होने से सिचाई में परेशानी होती है।
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वर्जन:::
जिले में 738 नलकूप चल रहे हैं, जबकि 20 खराब हैं। इनकी मरम्मत जल्द ही करा दी जाएगी। क्षतिग्रस्त नालियों की मरम्मत के लिए प्रति नलकूप 12 हजार 500 रुपये शासन से मिलते हैं, जिससे नालियों की मरम्मत कराई जाती है। यदि कोई किसान नाली व नलकूप की समस्या लेकर आता है तो उसका समाधान किया जाता है।
- राकेश बिहारी मल्ल, अधिशासी अभियंता, नलकूप खंड।