पुरानी जेल भूमि के उपयोग की संभावनाएं तलाशी
आजमगढ़ चंडेश्वर इटौरा में मंडलीय काराबार बनने के बाद शहर के बीच स्थित अंग्रेजों के जमाने के खाली पड़ी पुरानी जेल की जमीन में एक बार पुन संभावना की तलाश की होने लगी है। कुछ इसी उद्देश्य के साथ जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने शुक्रवार की सुबह खंडहर में तब्दील हो चुके जेल की जमीन का निरीक्षण किया। इसके बाद नगरवासियों को एक बार फिर विकास की उम्मीद जगी है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: चंडेश्वर इटौरा में मंडलीय कारागार बनने के बाद शहर के बीच स्थित अंग्रेजों के जमाने की खाली पड़ी पुरानी जेल की जमीन में एक बार पुन: संभावना की तलाश की होने लगी है। कुछ इसी उद्देश्य के साथ जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने शुक्रवार की सुबह खंडहर में तब्दील हो चुके जेल की जमीन का निरीक्षण किया। इसके बाद नगरवासियों को एक बार फिर विकास की उम्मीद जगी है।
लगभग पांच वर्ष पूर्व नई जेल में बंदियों के स्थानांतरण के बाद पुरानी जेल की जमीन पर पार्क बनाए जाने की मांग उठी थी। तत्कालीन जिलाधिकारी की पहल पर शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया था। नगर विकास मंत्रालय की संस्तुति के बाद डीपीआर बनाकर भेजा गया था। इस मद में कुछ धनराशि भी कार्यदायी संस्था नगर पालिका परिषद को अवमुक्त की गई थी। इसी बीच कारागार विभाग ने संबंधित जमीन को अपना बताते हुए किसी अन्य उपयोग के लिए देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद तो नगरवासियों की आशा पर पानी फिर गया। इसी बीच कई बार शासन व प्रशासन स्तर से मांग उठाई गई लेकिन कुछ नहीं हुआ। जिलाधिकारी ने बताया कि शहर के बीच स्थित पुरानी जेल की जमीन का भौतिक सत्यापन करने के बाद इसके कागजात को देखेंगे। उसके बाद शासन को रिपोर्ट भेजेंगे। निश्चित ही शहर के बीच स्थित बहुमूल्य जमीन पर भविष्य के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास किया जाएगा। इस मौके पर सीडीओ डीएस उपाध्याय, एडीएम प्रशासन नरेंद्र सिंह, ईओ नगर पालिका परिषद विरेंद्र कुमार श्रीवास्तव थे।
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