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साधन सहकारी समिति बीमार, किसान लाचार

मेंहनगर (आजमगढ़) साधन सहकारी समिति वर्ष 2012 से निष्क्रिय है। इससे किसानों खाद-बीज के लिए बाजार का चक्कर लगाना पड़ता है। घटतौली के साथ डुप्लीकेसी का शिकार होना पड़ता हैं। मेंहनगर में 16 साधन सहकारी समितियों में मात्र सात संचलित हैं। शेष डिफाल्टर हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 05:57 PM (IST)
साधन सहकारी समिति बीमार, किसान लाचार
साधन सहकारी समिति बीमार, किसान लाचार

जागरण संवाददाता, मेंहनगर (आजमगढ़): साधन सहकारी समिति वर्ष 2012 से निष्क्रिय है। इससे किसानों खाद-बीज के लिए बाजार का चक्कर लगाना पड़ता है। घटतौली के साथ डुप्लीकेसी का शिकार होना पड़ता हैं। मेंहनगर में 16 साधन सहकारी समितियों में मात्र सात संचालित तो शेष डिफाल्टर हैं।

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वर्ष 2012 में बतौर प्रभारी यशवंत सिंह की तैनाती लौदह इमादपुर व गौरा में हुई थी। बताया कि उस दौरान स्टाक में रखी खाद की बिक्री कर व वसूली कर जिला सहकारी बैंक में एक लाख अस्सी हजार रुपए जमा किया था। समिति पर कुल 749 खातेदार के अलावा करीब 200 किसान नगद खाद क्रय करते थे। तब से लेकर आज तक न तो सहकारी ने बैंक ऋण दिया और ना ही सरकार ने कोई सुविधा मुहैया कराई। प्रभारी एडीओ सहकारिता ओपी पांडेय ने बतया कि डीहा,कम्हरिया, करनेहुआ, मानपुर, नई ,समिति को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत बिजनेस करने के लिए पांच-लाख रुपये मिला है। मेहनगर व रेंडा समिति पर तैनात सचिव अपने निजी संसाधन के काम करते है। गौरा के लिए न तो बैंक ऋण दिया और ना ही सरकार कोई फंड आया। बिल्डिग भी जर्जर हालत में है। संचालित करने के लिए शासन से निर्देश व सरकार फंड दे तो संचालन शुरू करा दिया जाएगा। जर्जर भवन के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराएंगे ।

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किसानों की परेशानी, उन्हीं की जुबानी

फोटो--4-सी. से 7-सी. तक

किसान जयशंकर सिंह उर्फ नन्हें का कहना है कि समिति के खाद पर पूरी तरह भरोसा था। अब बाजार की खाद पर विश्वास नहीं है। राजेंद्र यादव ने बताया कि जब इसी समिति से खाद मिलती थी तो साइकिल व सिर पर लेकर चले जाते थे। अब बाजार से बीज लेने के लिए ट्रैक्टर ,ठेला व आटो का सहारा लेना पड़ता हैं। सत्य प्रकाश सिंह पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य गौरा का कहना कि समिति का जब संचालन किया जा रहा था तो एक तरफ जहा ट्रैक्टर से जोताई करते थे। वही खाद लेकर बोआई आसानी से कर लेते थे। अब खाद के लिए बाजार का चक्कर लगाना पड़ता है। बुच्ची सिंह ने कहा कि समिति के संचालन के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर पहल करनी चाहिए।


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