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बुढ़ापे में दुर्गा बने हैं पोते-पोतियों की लाठी

राकेश श्रीवास्तव आजमगढ़ तारीख 19 जनवरी 2019 समय शाम के करीब सात बजे। कोहरे की ध

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 10:41 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 10:41 PM (IST)
बुढ़ापे में दुर्गा बने हैं पोते-पोतियों की लाठी
बुढ़ापे में दुर्गा बने हैं पोते-पोतियों की लाठी

राकेश श्रीवास्तव, आजमगढ़ : तारीख : 19 जनवरी 2019, समय : शाम के करीब सात बजे। कोहरे की धुंध में रफ्तार ने मौत का ऐसा झपट्टा मारा कि दो परिवारों के सुख-संसार उसमें जा समाए। उस घटना को वर्ष भर बीत गए, लेकिन मां, पिता, भाइयों के आंसू आज भी सूख नहीं सके। सहारा पाने की उम्र में बुजुर्ग पिता को पौत्र-पौत्रियों की लाठी बननी पड़ रही तो भाई को घर-बार संभालने के लिए परदेश की नौकरी छोड़नी पड़ गई। डर मन में इस कदर कि कोहरे एवं रफ्तार के बारे में सोचने मात्र से ही कांप उठते हैं। लाजिमी भी कि दु:खों के सागर में दोनों ही परिवार ऐसे डूबे कि उनसे विकास भी हो गया दूर ..।

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जिला मुख्यालय से करीब 21 किमी. दूर मोहम्मदपुर निवासी दुर्गा प्रसाद को देखने मात्र से उनका दर्द महसूस हो जाता है। दरवाजे पर खड़े रहे तो तेज रफ्तार बाइक -कार वालों को नसीहत देने से नहीं चूकते। कहते-फिरते हैं कि कोहरा से बचाइके। पास-पड़ोस का कोई निकला तो बोल पड़ते धीरे-धीरे जइहा बचवा। दरअसल, दुर्गा के युवा पुत्र राजू की कोहरे के दिनों में ट्रक की रफ्तार ने जान ले ली थी। कल्पना करिये हादसे ने मां को किस कदर तोड़ डाला होगा, लेकिन अपने पति को सांत्वना देने बेटे राजू के निशानी बच्चों संस्कार, पल्लवी, अंश का सहारा बनने को कहतीं। कमोबेश यही नजारा पड़ोस में रहने वाले दीपक व उनकी मां शांति देवी का है। हर्ष की हादसे में हुई मौत को एक वर्ष बीत गए, लेकिन उनके आंसू आज भी सूख नहीं सके। हर्ष मिठाई की दुकान चलाते तो दीपक परदेश में कमाई करते थे। परिवार विकास के ट्रैक पर रफ्तार भर रहा था कि रफ्तार व कोहरे ने उनकी खुशियों की गाड़ी को बेपटरी कर दिया। सरकार की ओर से भी कोई मुआवजा नहीं मिल सका। दुर्गा प्रसाद बुढ़ापे में भी सब्जियां बेचकर गृहस्थी की गाड़ी खींचने को विवश हैं तो हर्ष का मिठाई दुकान से परिवार चलाते हैं।

कोहरे के दिनों में खुद से सतर्क रहिए : दुर्गा प्रसाद

यूं तो दुर्गा प्रसाद का दर्द कोई बांट नहीं सकता है लेकिन वे इस बात के हिमायती हैं कि दूसरे किसी का बेटा हादसे की भेंट न चढ़ जाए। ऐसे में वह मशविरा देते हैं कि कोहरे के दिनों में सड़क पार करने, बाइक चलाने में सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि हमें सामने वाले को भी देखना होगा, क्योंकि दूसरे की लापरवाही भी कई बार जानलेवा बन जाती है। राजू व हर्ष संग ऐसा ही हुआ था, जब सड़क किनारे बात करने के दौरान तेज रफ्तार ट्रक मौत का कारण बन गई थी। हादसे के बाद इलाकाई लेखपाल ने सरकारी मदद का भरोसा दिलाया। घटना के बाद मौके पर पहुंचा, रिपोर्ट लगाई लेकिन उन्हें सहारा के रूप में कुछ नहीं मिला।

होशियार! साल-दर-साल बढ़ रहे मौत के आंकड़े

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : होशियार! कोहरा सड़क पर मौत का झपट्टा मारने को बैठा तैयार। जी, हां हादसों में होने वाली मौतों के आइने में ऐसी ही सच्चाई नजर आती है। वर्ष 2018 में 190 हादसों में 156 मरे तो वर्ष 2019 व 2010 में 175 एवं 185 लोगों की जान गई। कमोबेश हादसे में मौतों के बढ़ते आंकड़ों के क्रम में ही रहे। इनमें भी सर्दियों में होने वाले आंकड़े 30 फीसद मौतों संग डराने वाले हैं। कितनों का अंग-भंग हुआ तो बहुतेरे अपाहिज होने के कारण जिदा लाश बनकर रह गए हैं।

हादसों की जड़ में ट्रैफिक इंजीनियरिग व रूल्स की अनदेखी

आजमगढ़ : हाईवे के जाल से घिरे आजमगढ़ में ट्रैफिक रूल्स एवं इंजीनियरिग की अनदेखी भी जड़ में है। हादसों पर अंकुश को यातायात के नियम बनाए गए हैं। प्रत्येक रूट पर रफ्तार निर्धारित करने का प्रावधान तो उसके लिए अलर्ट करने के लिए स्पीड ब्रेकर, रंबल स्ट्रीप, जेब्रा लाइन इत्यादि बनाने जाते हैं। जिले में दोनों ही स्तर पर चूक नजर आती है। वाराणसी -आजमगढ़ नेशनल हाईवे निर्माणाधीन होने के बावजूद गाड़ियां रफ्तार भर रही हैं, लेकिन रात में संकेतक बहुतेरे जगहों पर नजर नहीं आते। चालक इसी में गच्चा खाकर हादसा कर बैठता है। लिक मार्गों पर घुमाव वाले स्थानों पर ऊंचाई न होने से चालक संतुलन खो बैठता है। इसके अलावा यहां तक कि डिवाइडर, स्पीड ब्रेकर से लेकर पुलिया, पुल, सड़क के किनारे बिजली के पोल, पेड़ आदि पर भी रेडियम वाले रिफ्लेक्टर की पट्टी नहीं लगाई गई हैं। सड़कों के किनारे संकेतक का भी अभाव दिख रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं। इन कमियों पर गंभीरता से विचार कर उसे दूर किया जाए तो अकाल मौतों पर अंकुश लगाई जा सकती है।

हादसों के आंकड़े पर एक नजर

वर्ष--2018----

-190 स्थानों पर हुई सड़क दुर्घटनाएं

-156 की गई जान

-240 हुए घायल

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वर्ष--2019----

-225 स्थानों पर हुई सड़क दुर्घटनाएं

-175 की गई जान

-210 हुए घायल

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वर्ष--2020 अक्टूबर तक----

-220 स्थानों पर हुई सड़क दुर्घटनाएं

-185 की गई जान

-205 हुए घायल

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सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण

-सड़क किनारे खड़ी गाड़ियां।

-सीट बेल्ट व हेलमेट के इस्तेमाल से तौबा।

-गड्ढों में जा बसी सड़कें।

-जल्दी पहुंचने की होड़ में तेज रफ्तार।


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