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कारगिल शहीद की बहनों के भाई बने इफ्तेखार

जागरण संवाददाता सगड़ी (आजमगढ़) मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिदी हैं हम वतन हैं हिदोस्तां हमारा। कुछ इसी तरह की सोच को लेकर हर वर्ष मकर संक्रांति पर कारगिल शहीद की बहनों के भाई का धर्म निभाते हैं इफ्तेखार आजमी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 06:55 PM (IST)
कारगिल शहीद की बहनों के भाई बने इफ्तेखार
कारगिल शहीद की बहनों के भाई बने इफ्तेखार

जागरण संवाददाता, सगड़ी (आजमगढ़) : मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिदी हैं हम वतन हैं हिदोस्तां हमारा। इसी तरह की सोच को लेकर हर वर्ष मकर संक्रांति पर कारगिल शहीद की बहनों के भाई का धर्म निभाते हैं इफ्तेखार आजमी। बहन-बेटियों को खिचड़ी पहुंचाने की परंपरा का निर्वहन करते अबकी भी शहीद परिवार के घर नत्थूपुर पहुंच वादा किए कि कभी भी भाई की कमी महसूस नहीं होने दूंगा। हिदू रीति-रिवाज मुताबिक कपड़ा के साथ लाई, चूड़ा आदि प्रदान किया।

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नत्थूपुर निवासी सीताराम यादव के इकलौते पुत्र रमेश यादव 30 अगस्त 1999 को कारगिल में युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे। परिवार में उनके बुजुर्ग पिता-माता की देखभाल उनकी दो पुत्रियां चंद्रकला व शशिकला करती हैं लेकिन खिचड़ी पर उन्हें भाई की कमी खलती थी। इसकी जानकारी किसी माध्यम से मिली तो नवोदय विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व अजमतगढ़ निवासी इफ्तेखार आजमी ने लगभग 12 वर्ष पहले तय किया कि वह शहीद की दोनों बहनों को अपनी बहन मानकर प्रतिवर्ष खिचड़ी पहुंचाएंगे। उसके बाद से हर बार उन्हें याद रहता है कि खिचड़ी पर बहनों को उपहार पहुंचाना है। उनकी इस सोच की हर कोई सराहना करता है।


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