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तीन स्थानों पर दहन किया गया रावण का पुतला

आजमगढ़ मां की प्रतिमाओं का दर्शन करने का क्रम तो नवमी की शाम से शुरू हो गया था लेकिन विजयादशमी पर पूरे शहर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। शहर का शायद ही कोई ऐसा इलाका रहा होगा जहां भीड़ न रही हो। दोपहर बाद दर्शन को निकलने का क्रम शुरू हो तो भोर तक यह क्रम बना रहा। शहर के मुख्य चौक पर अखाड़ा के कलाकारों ने युद्ध कला का प्रदर्शन कर लोगों ने बांधे रखा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 05:30 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 05:30 PM (IST)
तीन स्थानों पर दहन किया गया रावण का पुतला
तीन स्थानों पर दहन किया गया रावण का पुतला

जासं, आजमगढ़ : मां की प्रतिमाओं का दर्शन करने का क्रम तो नवमी की शाम से शुरू हो गया था लेकिन विजयादशमी पर पूरे शहर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। शहर का शायद ही कोई ऐसा इलाका रहा होगा जहां भीड़ न रही हो। दोपहर बाद दर्शन को निकलने का क्रम शुरू हो तो भोर तक यह क्रम बना रहा। शहर के मुख्य चौक पर अखाड़ा के कलाकारों ने युद्ध कला का प्रदर्शन कर लोगों ने बांधे रखा।

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उधर पुरानी सब्जीमंडी, पुरानी कोतवाली और एलवल में राम-रावण युद्ध के बाद रावण का पुतला दहन किया गया। इस दृश्य को देखने के लिए लोग अंत तक डंटे रहे। चौक पर स्थापित प्रतिमा का दर्शन करने पहुंचने वालों का मनोरंजन करने के लिए विभिन्न रूपों को धारण कर कलाकार मौजूद थे। इसमें खासतौर से कृष्ण का रूप धरे कलाकार के साथ किसी ने सेल्फी ली तो किसी ने उसकी गोद में बच्चा देकर फोटो खींची। उधर मेले में खान-पान के साथ विभिन्न प्रकार के खिलौनों की दुकानें बच्चों को आकर्षित कर रही थीं तो दशहरे पर बिकने वाली चोटहिया जलेबी बड़ों की पहली पसंद रही। पंडालों के पास सेल्फी लेने की रही होड़

जासं, आजमगढ़ : विजयादशमी पर प्रतिमा का दर्शन करने के साथ सेल्फी लेने की होड़ लगी रही। जहां की प्रतिमा आकर्षक लगी वहां खास तौर से युवतियों और महिलाओं ने मोबाइल से सेल्फी ली तो कहीं-कहीं परिवार के साथ लोग सेल्फी लेते दिखे। तमाम लोगों ने हर अच्छी प्रतिमा को मोबाइल के कैमरे में कैद किया। अंकुरित जौ लेकर समृद्धि की कामना

जासं, आजमगढ़ : नवरात्र के बाद विजयादशमी को अंकुरित जौ को भी दाहिने कान पर रखने की परंपरा रही है। इसके लिए सुबह से ही ब्राह्मण शहर में निकल पड़े थे। लोगों को अंकुरित जौ देने के बाद उनसे दक्षिणा प्राप्त कर रहे थे। मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिनों में ठीक से अंकुरित होने वाला जौ समृद्धि का प्रतीक होता है। जिनके घर कलश की स्थापना नहीं होती वह ब्राह्मणों से अंकुरित जौ प्राप्त कर अपने पास रखते हैं। शुभकामना के साथ नीलकंठ की फोटो

जासं, आजमगढ़ : विजयादशमी की शुभकामना देने का क्रम मोबाइल पर सुबह से ही शुरू हो गया था। कोई मां दुर्गा और राम का चित्र भेज रहा था तो परंपरा की जानकारी रखने वाले लोग नीलकंठ पक्षी के चित्र के साथ शुभकामना भेज रहे थे। वहीं कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने पर्व के महत्व को दर्शाते हुए मैसेज कर रहे थे।


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