परदेस लौटने में हिचक, आ रही रोजगार की हिचकी
जागरण संवाददाता आजमगढ़ जब किसी को हिचकी आती है तो कहा जाता है कि कोई अपने से जुड़ा शख्स याद कर रहा है। फिर आदमी का मन नहीं लगता। कुछ इसी तरह की मनोदशा है महानगरों से लौटने वालों की। वह लौटने में तो हिचक रहे लेकिन अभी तक यहां कोई विकल्प नहीं मिल सका है। हाईफाई काम करने वालों के लिए तो गुंजाइश ही नहीं दिख रही है और वे महानगरों से कोरोना के पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। कारण कि इनके परिवार की पूरी अर्थ व्यवस्था महानगरों में होने वाली कमाई पर ही निर्भर रही है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : जब किसी को हिचकी आती है तो कहा जाता है कि कोई अपने से जुड़ा शख्स याद कर रहा है। फिर आदमी का मन नहीं लगता। कुछ इसी तरह की मनोदशा है महानगरों से लौटने वालों की। वह लौटने में तो हिचक रहे लेकिन अभी तक यहां कोई विकल्प नहीं मिल सका है। हाइफाई काम करने वालों के लिए तो गुंजाइश ही नहीं दिख रही है। वे महानगरों से कोरोना के पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। कारण कि इनके परिवार की पूरी अर्थ व्यवस्था महानगरों में होने वाली कमाई पर ही निर्भर रही है।
मुंबई में फ्रिज और एसी मरम्मत का काम करने वाले निजामाबाद क्षेत्र के दमदियावन गांव के अमर सिंह यादव व ग्राम कैथोली मिर्जापुर के अशोक यादव तीन महीने से घर पर हैं। इनका कहना है कि यहीं पर कहीं काम मिल जाए तो जाना चाहेंगे। रहा सवाल अपनी दुकान खोलने का तो पहले से काम करने वालों के आगे अपनी पहचान बनाने की चुनौती पेश आएगी। भिलोली गांव के मो. शमशाद हैदराबाद में ब्यूटी सेंटर चलाते हैं। कहते हैं कि यहां ड्रेस डिजाइनिग का अच्छा पैकेज नहीं मिलता। आंध्र प्रदेश में इस्पात कारखाने में मोल्डिग का काम करने वाले ग्राम डोडोपुर के धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि कारखाना खुलने का इंतजार है, क्योंकि यहां वैसा काम नहीं है।
मुंबई में रहकर मजदूरी करने वाले सगड़ी तहसील क्षेत्र के वासूपार के मनोज, श्रवण कुमार, पप्पू कुमार तथा मोहम्मद तनवीर यदि सरकार के प्रयास से यहां हमारे लायक कोई काम मिल जाएगा तो अब बाहर नहीं जाएंगे।