कोतवाली के शस्त्रागार से बंदूक गायब
मकान दुकान ही नहीं थाने व कोतवाली के शस्त्रागार भी अब सुरक्षित नहीं हैं। पुलिस के पहरा व खाकी वर्दी धारियों की चौबीस घंटे निगरानी में रहने वाले शस्त्रागार के अंदर से भी असलहे गायब हो जाना पुलिस की सक्रियता का पोल खोल रही है।
मनोज जायसवाल, आजमगढ़
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मकान, दुकान ही नहीं थाने व कोतवाली के शस्त्रागार भी अब सुरक्षित नहीं हैं। पुलिस के पहरा व खाकी वर्दीधारियों की चौबीस घंटे निगरानी में रहने वाले शस्त्रागार के अंदर से भी असलहे गायब होना पुलिस की सक्रियता पर सवाल खड़ा करने के संग व्यवस्था की भी पोल खोल रही है। ऐसा ही एक मामला 26 वर्ष बाद जांच के बाद प्रकाश में आया है।
उक्त घटना जीयनपुर कोतवाली की है। जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के जमसर गांव निवासी उदयराज सिंह ने चुनाव के दौरान अपना लाइसेंसी दो नाली बंदूक नंबर 3954-ए/9 को वर्ष 1993 में जीयनपुर कोतवाली में जमा किए थे। असलहा जमा करने के कुछ माह बाद उनकी मौत हो गई। लाइसेंसी की मौत हो जाने से जीयनपुर कोतवाली में जमा हुए उक्त असलहा को उनके परिजन अवमुक्त नहीं करा सके। इधर उक्त लाइसेंसी के पुत्र आदित्य सिंह ने पिता की मृत्यु के बाद वरासत के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट के यहां से शस्त्र लाइसेंस बनाया। 19 अगस्त 2019 को जिला मजिस्ट्रेट ने उसे लाइसेंस जारी किया। शस्त्र लाइसेंस संख्या 1202/2019 पर आदित्य अपने पिता की जीयनपुर कोतवाली में जमा किए गए दो नाली बंदूक को अवमुक्त कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। लाइसेंसी आदित्य सिंह के आवेदन पर प्रभारी अधिकारी (शस्त्र) ने 26 अगस्त 2019 को जीयनपुर कोतवाल को उसके पिता की जमा किए गए शस्त्र को अवमुक्त करने का निर्देश दिया। प्रभारी अधिकारी शस्त्र के आदेश पर आवेदक जीयनपुर कोतवाली पहुंचा तो उसे जानकारी हुई कि उसके पिता की दो नाली बंदूक कोतवाली के शस्त्रागार से गायब है। इस पर लाइसेंसी धारक आदित्य ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर प्रार्थना पत्र देते हुए कार्रवाई करने के लिए गुहार लगाई। आइजीआरएस पर आदित्य की ओर से की गई शिकायत पर लाटघाट चौकी प्रभारी बंशराज सिंह ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि उनके द्वारा जब जांच की गई तो कोतवाली के शस्त्रागार में उक्त दो नाली बंदूक नहीं मिली। उक्त मामला काफी पुराना है। उक्त दौरान जीयनपुर कोतवाली पर नियुक्त हेड मोहर्रिर व आरक्षी मोहर्रिर से पूछताछ करने पर ही मामला स्पष्ट हो सकेगा। हेड मोहर्रिर से लेकर पुलिस अफसरों की भूमिका संदिग्ध
कोतवाली व थाने के शस्त्रागार के सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी हेड मोहर्रिर व आरक्षी मोहर्रिर की होती है। शस्त्रागार में कितने सरकारी व प्राइवेट असलहे व कारतूस जमा है उसकी जांच संबंधित सर्किल के सीओ द्वारा आकस्मिक, त्रैमासिक, छहमाही व वार्षिक की जाती है। निरीक्षण के दौरान वे शस्त्रागार में रखे गए असलहे व कारतूस का अभिलेख से मिलान कर सत्यापन करते हैं। इसी प्रकार से सीओ से ऊपर के अन्य अधिकारी भी समय समय पर निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट लगाते हैं। जीयनपुर कोतवाली के शस्त्रागार में वर्ष 1993 में जमसर गांव निवासी लाइसेंसी उदयराज सिंह के जमा किए गए दो नाली बंदूक का गायब हो जाने पर हेड मोहर्रिर से लेकर निरीक्षण करने वाले अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध है। ''जीयनपुर कोतवाली के मालखाना से लाइसेंसी उदयराज सिंह का जमा हुए दो नाली बंदूक गायब होने का मामला संज्ञान में है। उक्त शस्त्र कब से और किसके कार्यकाल से गायब है इसकी प्रारंभिक जांच कराने का आदेश दे दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।''
-प्रो. त्रिवेणी सिंह, पुलिस अधीक्षक।