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जापानीज बुखार को लेकर शासन अलर्ट, फरमान जारी

आजमगढ़ जापानीज बुखार को लेकर शासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। प्रदेश के सभी आला अफसरों को फरमान जारी कर दिया गया है कि वह अपने-अपने जिले में विशेष अभियान चलाकर इस पर नियंत्रण करें। इसी के तहत जनपद में एक से 30 जून तक विशेष स्वच्छता अभियान चलेगा। प्रमुख सचिव मनोज सिन्हा ने जनपद के सभी नगर पालिका अध्यक्ष नगर पंचायत अध्यक्ष व ईओ से रिपोर्ट मांगी है। जापानीज बुखार से ज्यादातर 15 वर्ष तक के बच्चे ही प्रभावित होते हैं। ऐसे में जनपदभर में विशेष स्वच्छता नाली की सफाई प्रतिबंधित पालीथिन के विरुद्ध अभियान शुद्ध पेयजल की व्यवस्था दवा का छिड़काव खुले में शौच से मुक्ति जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जानी है। इसकी प्रतिदिन की रिपोर्ट शासन को भी भेजनी है। शासन के निर्देश को लेकर विभाग पूरी तरह से हॉफ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 11:01 PM (IST)
जापानीज बुखार को लेकर शासन अलर्ट, फरमान जारी
जापानीज बुखार को लेकर शासन अलर्ट, फरमान जारी

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : जापानीज बुखार को लेकर शासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। प्रदेश के सभी आला अफसरों को फरमान जारी कर दिया गया है कि वह अपने-अपने जिले में विशेष अभियान चलाकर इस पर नियंत्रण करें। इसी के तहत जनपद में एक से 30 जून तक विशेष स्वच्छता अभियान चलेगा। प्रमुख सचिव मनोज सिन्हा ने जनपद के सभी नगर पालिका अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष व वहां के ईओ से रिपोर्ट मांगी है। जापानीज बुखार से ज्यादातर 15 वर्ष तक के बच्चे ही प्रभावित होते हैं। ऐसे में जनपद में विशेष स्वच्छता, नाली की सफाई, प्रतिबंधित पालीथिन के विरुद्ध अभियान, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, दवा का छिड़काव, खुले में शौच से मुक्ति, जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जानी है। इसकी प्रतिदिन की रिपोर्ट शासन को भी भेजनी है। शासन के निर्देश को लेकर विभाग पूरी तरह से हांफ रहा है।

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संक्रमित होता है जापानीज बुखार का वायरस

पश्चात्य विज्ञान में 'एनके फलाइटिस' नाम से जानी जाने वाली यह व्याधि प्राय: वायरस के संक्रमण के कारण होती है। इसमें मस्तिष्क में शोथ हो जाता है। यह संक्रमण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र मेनेंजीज और मेरु रज्जु को भी प्रभावित कर सकता है। इसे प्रमस्तिष्क प्रदाह, सन्निपात ज्वर, इन्सेफेलाइटिस, लेथार्जिका आदि नामों से जाना जाता है। यह बीमारी विशेष कर 15 वर्ष आयु तक के बच्चों में मच्छरों से फैलने वाली है। सर्वप्रथम जापान में इसका आक्रमण हुआ था। सन 1871 से 1935 के बीच यह रोग कई बार फैला। इसके पश्चात एशिया के कई देशों में इसका प्रसार हुआ। वर्तमान में उत्तरी भारत में नदियों की बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में गंदगी और मच्छरों की पैदाइश से यह तेजी से फैल रहा है। -------------------

बुखार के लक्षण::::

जापानीज इंसेफेलाइटिस का आरंभ अचानक होता है। शुरुआत में मरीज को जाड़ा लगकर बुखार आता है। सिरदर्द और थकान लगती है। तीव्र ज्वर, गर्दन में अकड़न और अंत में झटके आने लगते हैं। साथ ही शरीर में संवेदनहीनता और लकवे के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त अर्ध मूर्छित अवस्था में रोगी के हाथ-पैरों में अजीब हरकत होने लगती है और अंत में मरीज बेहोश हो जाता है। विशेष परीक्षण पर सेरिब्रोस्पाइनल प्रेशर तथा उसका प्रोटीन भाग बढ़ा रहता है। रक्त में विशेष परिवर्तन नहीं होते हैं।

--------------------- बचाव ::

-15 वर्ष तक के बच्चों को इसका टीका अवश्य लगवाना चाहिए।

-मच्छरों की रोकथाम के उपाय करने चाहिए।

-खेतों एवं आसपास घरों में कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए।

-रात को मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।

-घर के आसपास पानी एकत्र नहीं होने देना चाहिए।

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तीव्र ज्वर होने पर पैरासिटामाल दें : सीएमओ

आजमगढ़ : मुख्य चिकित्साधिकारी व वरिष्ठ फिजीशियन डा. एके मिश्रा ने कहा कि इस रोग कोई विशेष चिकित्सा नहीं है। लाक्षणिक उपचार किया जाता है। पूर्ण विश्राम, तरल एवं इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन को बनाए रखना, बेचैनी को दूर करने के लिए अवसादक औषधि (यथा: डायजेपाम या फेनिटोइन सोडियम) देना चाहिए। संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक्स का प्रयोग करना चाहिए। ज्वर तीव्र होने पर पैरासिटामाल देना चाहिए।

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