साबिया की शादी के आमंत्रण कार्ड पर 'गणपति मंगल श्लोक'
(आजमगढ़): गंगा-जमुनी तहजीब के लिए चर्चित ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां एक मुस्लिम परिवार ने बेटी की शादी के कार्ड पर श्री गणेशाय नम : छपवाया है। बेटी की शादी के एक दिन पूर्व ¨हदू भाईयों को आमंत्रण पत्र देने वाले मुस्लिम परिवार का दावा है वर्षों से निजामाबाद में चली आ रही इस परंपरा को जारी रखने से हमलोगों के आपसी रिश्ते और भी मजबूत होंगे।
आजमगढ़ : गंगा-जमुनी तहजीब के लिए चर्चित ऐतिहासिक कस्बा निजामाबाद एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां एक मुस्लिम परिवार ने बेटी की शादी के कार्ड पर 'श्री गणेशाय नम: एवं गणेश मंगल श्लोक' छपवाया है। बेटी की शादी के एक दिन पूर्व ¨हदू भाइयों को आमंत्रण पत्र देने वाले मुस्लिम परिवार का दावा है वर्षो से निजामाबाद में चली आ रही इस परंपरा को जारी रखने से हमारे आपसी रिश्ते और भी मजबूत होंगे।
निजामाबाद कस्बा के हुसेनाबाद मोहल्ला निवासी मो. तैय्यब और वादा खातून नगर पंचायत निजामाबाद में सफाईकर्मी हैं। इनकी बेटी साबिया परवीन की शादी जिले के ही काशीपुर सठियांव निवासी मो. सलीम व सलमा बानो के पुत्र नसीम से 27 अक्टूबर को सुनिश्चित है। आपसी भाईचारे की डोर को मजबूत करने की वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत मुस्लिम परिवार ने ¨हदू भाइयों के लिए बेटी की शादी के एक दिन पूर्व 28 को ही प्रीतिभोज के लिए आमंत्रण कार्ड छपवाया जिसे वितरित किया जा रहा है। आपसी सौहार्द्र और प्यार का ही प्रभाव है कि प्रीतिभोज के पत्र पर 'श्री गणेशाय नम:' लिखवाया है। यही नहीं, आमंत्रण कार्ड गणेश जी का चित्र भी छपा है। खास बात यह है कि इस कार्ड पर 'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' और 'विघ्न हरण मंगल करण, श्री गणपति महराज प्रथम निमंत्रण आप को, पूरन करियो काज' श्लोक भी प्रकाशित है। ''निजामाबाद की परंपरा है कि ¨हदू-मुस्लिम मिलकर शादी समारोह मनाते हैं। हमने बेटी की शादी के एक दिन पूर्व ¨हदू भाइयों के लिए आमंत्रण के लिए 600 कार्ड छपवाए हैं जिसे वितरित किया जा रहा है। इस बात की पूरी उम्मीद है कि कस्बे की गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाते हुए सभी ¨हदू परिवार शामिल होंगे।''
-वादा खातून, साबिया परवीन की मां। ''मेरे देश ¨हदुस्तान जैसा कोई वतन नहीं है। कोई धर्म यह नहीं कहता कि दूसरे धर्म का सम्मान न करें। पहले हम इंसान हैं बाद में किसी धर्म के अनुयायी। निजामाबाद कस्बा दुनिया के लिए मिसाल है। यहां के लोग इंसानियत को ही अपना धर्म मानते हैं। हमारी दुआ है कि इसे किसी की नजर न लगे। कस्बे में एक भी सिख परिवार नहीं है। बावजूद इसके यहां के लोग गुरुद्वारे का बहुत ही सम्मान करते हैं। प्रतिदिन शाम को होने वाले शबद-कीर्तन और अरदास में भाग लेते हैं। मो. तैय्यब व वादा खातून इसी गंगा-जमुनी तहजीब की एक कड़ी हैं।''
-मौलाना अब्दुल रज्जाक मिस्बाही, इमाम, मस्जिद एहसानुल मसाजिद। क्या कहते हैं ग्रंथी व हाजी
''ऐतिहासिक गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी बाबा सतनाम ¨सह ने कहा कि हर इंसान की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने धर्म का पालन करें लेकिन उससे बड़ी जिम्मेदारी है कि दूसरे धर्म को भी सम्मान दें। कारण, मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। वह इंसानियत की शिक्षा देता है, हम वही कर रहे हैं। हमारे कस्बे में कुछ नया नहीं हो रहा है। इसी कस्बे के रहने वाले हाजी अब्दुल रहमान ने कहा कि मुस्लिम भाइयों द्वारा ¨हदू भाइयों को दिए जाने वाले शादी विवाह के निमंत्रण पत्र जो मोहम्मद तैय्यब व वादा खातून द्वारा छपवाया गया है, यह तो एक मिसाल भर है। ऐसे न जाने कितने कार्ड यहां छपते हैं और एक-दूसरे को सम्मान में दिया जाता है।