बीएसएनएल कर्मियों के लिए मिसाल बना बुलंदशहर
आजमगढ़ भारत संचार निगम (बीएसएनएल) पूरी तरह से घाटे में जा रहा है। ऐसे में प्रदेश के बुलंद शहर के बीएसएनएल कर्मियों ने अपने वेतन से धन देकर विभाग को बचाने के लिए नई पहल की है। इनकी छोटी सी पहल की वजह से दूरसंचार विभाग का मेंटीनेंस आसानी से किया जा रहा है और उपभोक्ताओं को अच्छी सर्विस भी मिल रही है। इस तरह का कार्य जनपद के बीएसएनएल कर्मियों के लिए आईना है। यहां भी इस तरह का प्रयास अगर विभाग करे तो यहां भी बीएसएनएल की सेवाएं बेहतर हो जाएंगी। बस एक पहल करने की जरूरत है।
जयप्रकाश निषाद, आजमगढ़
भारत संचार निगम (बीएसएनएल) पूरी तरह से घाटे में जा रहा है। ऐसे में प्रदेश के बुलंदशहर के बीएसएनएल कर्मियों ने अपने वेतन से धन देकर विभाग को बचाने के लिए नई पहल की है। इनकी छोटी सी पहल की वजह से दूरसंचार विभाग का मेंटीनेंस आसानी से किया जा रहा है और उपभोक्ताओं को अच्छी सर्विस भी मिल रही है। इस तरह का कार्य जनपद के बीएसएनएल कर्मियों के लिए आईना है। यहां भी इस तरह का प्रयास अगर विभाग करे तो यहां भी बीएसएनएल की सेवाएं बेहतर हो जाएंगी। बस एक पहल करने की जरूरत है।
विभाग की मानें तो पूरे देश में बीएसएनएल के एक लाख 76 हजार कर्मचारी हैं। इनकी तनख्वाह भी भारी भरकम हैं। यानी किसी भी बीएसएनएल कर्मी की तनख्वाह 50 हजार से कम नहीं है। आजमगढ़ जनपद को लिया जाए तो यहां कुल 158 कर्मचारी हैं। बीएसएनएल के कुल 111000 उपभोक्ता हैं। इसमें ब्राडबैंड के 2000, लैंडलाइन के 4000 उपभोक्ता हैं। वर्तमान समय में 158 कर्मियों पर कुल 67 लाख रुपये प्रतिमाह तनख्वाह के रूप में दिया जा रहा है जबकि बीएसएनल की कुल आमदनी प्रतिमाह 62 लाख रुपये हो रही है। यानी विभाग पांच लाख रुपये प्रतिमाह घाटे में जा रहा है। इसके अलावा मेंटीनेंस में भी लगभग एक से दो लाख रुपये प्रतिमाह खर्च होता है।
विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर बीएसएनएल के सभी कर्मचारी हर माह 1000-1000 रुपये प्रतिमाह बीएसएनएल को बचाने के लिए दे दें तो यहां प्रतिमाह 1 लाख 58 हजार रुपये जुट जाएगा। यानी की व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलने लगेगी। उपभोक्ता भी पूरी तरह खुश रहेंगे और बीएसएनएल कर्मियों की नौकरी जाने का भय भी नहीं रहेगा। जब बीएसएनएल फिर अपने पुराने ढर्रे पर चलने लगेगा तो सबकी स्थिति सामान्य हो जाएगी। ऐसे में बीएसएनएल कर्मियों को न धरना देने की जरूरत पड़ेगी और न ही कोई और विकल्प अपनाना होगा।
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विभाग के बचाने के लिए जो कुछ भी कुर्बानी देनी पड़ेगी वह देने को तैयार हैं। किसी तरह से विभाग की स्थिति संवर जाएं, इससे बेहतर हमारे लिए क्या हो सकता है। बुलंदशहर के कर्मचारियों की पहल वाकई सराहनीय है। यहां भी कोशिश होनी चाहिए।
-आरके जायसवाल, उप महाप्रबंधक दूरसंचार विभाग
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नौकरी पाने के बाद से ही हम बीएसएनएल के लिए समर्पित हैं। विभाग को बचाने के लिए अगर हमें अपनी तनख्वाह से 1000 रुपये देने की जरूरत पड़ी तो कोई गुरेज नहीं है। विभाग बचा रहेगा तो हमारी नौकरी बची रहेगी। अन्य से भी हमारी अपेक्षा है।
-डीके उपाध्याय, एजीएम दूरसंचार विभाग।
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