अपनी मिट्टी की खुशबू से खिलखिलाए चेहरे
स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचते ही वतन की हवा और माटी की खुशबू से यात्रियों के चेहरे खुल उठे। वहीं लॉकडाउन के ढाई माह बाद एक बार फिर रेलवे स्टेशन पर रौनक लौटने लगी है।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचते ही अपनी मिट्टी की खुशबू से यात्रियों के चेहरे खिलखिला उठे। वहीं लॉकडाउन के ढाई माह बाद एक बार फिर रेलवे स्टेशन पर रौनक देखने को मिली। मंगलवार को दो यात्री ट्रेनें सरयु -जमुना व ताप्तीगंगा स्टेशन पर पहुंची। दोनों ट्रेनों से लगभग 90 यात्री उतरे तो तीन यात्री सफर के लिए सवार हुए। स्वास्थ्य कर्मियों की टीम और रेलवे मशीनरी पहले से अलर्ट रही। यात्रियों के उतरते ही एक -एक की थर्मल स्कैनिग की गई तथा उनके नाम नोटकर बाहर भेजे गए।
पहली ट्रेन 04650 सरयु-जमुना एक्सप्रेस डाउन दोपहर में 01.02 बजे स्टेशन पर पहुंची। इसमें से 45 यात्री उतरे। दूसरी ट्रेन 09045 ताप्तीगंगा डाउन 2.25 बजे पहुंची तो इससे भी 45 यात्री उतरे। दोनों ट्रेनों में तीन यात्री यहां से छपरा गए। अपनों को लेने के लिए सुबह से ही कुछ लोग ट्रेनों के इंतजार में परिसर के ईर्द-गिर्द घूमते नजर आए। हालांकि स्टेशन परिसर में यात्रियों को छोड़ किसी और को जाने की इजाजत नहीं थी।
यात्रियों ने सुनाई अपनी कहानी
-सरायमीर स्थित मदरसे में पढ़ाता हूं। लॉकडाउन में घर नहीं जा पाए थे। ढाई महीने परिवार से दूर रहा। जब ट्रेनों के चलने की सूचना मिली तो टिकट कराया था। आज अपने घर जा रहा हूं।
-अब्दुल कयूम, अररिया बिहार।
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-सरायमीर रहकर एक मदरसे में पढ़ाता था। लॉकडाउन में यहां ढाई महीने से फंसा था। जब सुना कि एक जून से कुछ ट्रेनों को चलाया जा रहा है तो टिकट करा लिया। सुबह से स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इंतजार कर रहा हूं।-काजी शाह अकबर, पुर्निया बिहार।
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-दिल्ली में रहकर पेंटिग का कार्य करता था। लॉकडाउन में सभी कामकाज ठप हो गए और खाने-पीने की भी दिक्कत होने लगी थी। 21 मई से टिकट बुक कराकर आज अपने जनपद में आ गया।-तनवीर, ब्रह्मस्थान।
मैं दिल्ली में रहकर कोचिग में पढ़ाई करता था। लॉकडाउन में सभी कोचिग की संस्थाएं भी बंद हो गई। घर आने के लिए आनलाइन आवेदन किया था, लेकिन कोई परिणाम नहीं आया। 21 मई को टिकट बुक कराया। -बिट्टू, दयालपुर मुहम्मदपुर, आजमगढ़।