प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध को 'वॉर अगेंस्ट प्लास्टिक' का नारा
आजमगढ़ : जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी की अध्यक्षता में गुरुवार की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में
आजमगढ़ : जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी की अध्यक्षता में गुरुवार की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित किए जाने के संबंध में बैठक हुई। उन्होंने व्यापार मंडल, आइएमए, मेडिकल व जनरल स्टोर के संचालकों, गणमान्य व्यक्तियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का आह्वान किया कि पालीथिन को प्रतिबंधित करने में प्रशासन का सहयोग करें। कहा कि पॉलीथिन का संग्रहण एवं उसका इस्तेमाल करने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के लिए नारा दिया कि 'वॉर अगेंस्ट प्लास्टिक'।
जिलाधिकारी ने पालीथिन प्रतिबंधित से संबंधित शासनादेश में उल्लेखित धारा-सात के बारे में जानकारी दी। बताया कि पालीथिन के विनिर्माण, आयात-निर्यात, संग्रहण प्रयोग करने पर कम से कम छह माह और अधिक से अधिक एक साल की सजा और 10 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। जिलाधिकारी ने जनमानस से का आह्वान किया कि पॉलीथिन का स्वत: प्रयोग न करें, बाजार में थैला लेकर जाएं और अखबार के पैकेट का प्रयोग करें। उन्होंने होटल और रेस्टोरेंट के मालिकों से कहा कि पॉलीथिन का दोना, पत्तल सार्वजनिक स्थानों और नालों में न फेकें। यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने व्यापार मंउल, मेडिकल व जनरल स्टोर के प्रतिनिधियों से कहा कि यदि आप लोगों को कैरीबैग की जरूरत हो तो आप लोग कैरीबैग से संबंधित मैटेरियल डीसी एनआरएलएम बीके मोहन को उपलब्ध कराकर, उनसे कैरीबैग प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने समस्त स्वयंसेवी संस्थाओं से कहा आप सभी लोग अलग-अलग वार्डाें में रैली के माध्यम से जनता को पॉलीथिन का प्रयोग न करने के प्रति जागरूक करें ओर पॉलीथिन विरोधी नारे भी निकालें। इस अवसर पर पुलिस अधिक्षक रवि शंकर छवि, मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार उपाध्याय, एडीएम एफआर बीके गुप्ता, एडीएम प्रशासन नरेंद्र ¨सह, डीसी एनआरएलएम बीके मोहन, संबंधित उप जिलाधिकारी थे। कुम्हारी कला से जुड़े लोगों को पट्टे पर दें जमीन
जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने-अपने क्षेत्रों में कुम्हार प्रजाति को, जो कुम्हारी कला से जुड़े हुए हैं उनको चिह्नित करते हुए पट्टे पर जमीन उपलब्ध कराएं। मिट्टी के चाय का कुल्हड़ बनाएं और इसके लिए उन्हें जागरूक भी करें जिससे चाय की दुकानों पर प्लास्टिक की गिलास को कम किया जा सके।