आंखों में रोशनी चाहिए, लेंस खरीदकर पहुंचिये अस्पताल
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जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : मंडलीय जिला चिकित्सालय के सहारे दुनिया देखने की उम्मीद लगाए बैठे गरीबों के लिए दो साल का वक्त भी कम पड़ने लगा है। टेंडर प्रक्रिया उलझ जाने के कारण लेंस की आपूíत ही सुनिश्चित नहीं की जा सकी। मजबूरी में लोग लेंस खरीदकर अस्पताल में प्रत्यारोपित कराने को मजबूर हैं। असल में चिकित्सकों के खर्च बचने से लोग सरकारी अस्पताल को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि, गरीबी की मार झेलने के कारण बड़ी तादाद में अशक्कत लोग सरकार को कोसते हुए रोजाना अस्पताल से बैरंग हो जा रहे।
सरकार गरीबों की नेत्र ज्योति लौटाने को अस्पतालों में ऑपरेशन का इंतजाम कर रखी है। सजर्न की तैनाती की गई है, ताकि जनता को परेशानी न उठानी पड़े। अस्पताल प्रशासन की ओर से आंखों में प्रत्यारोपण को लेंस उपलब्ध कराया जाता है। सरकार की सोच जमीन पर उतर नहीं पा रही। टेंडर प्रक्रिया उलझने के कारण लेंस की आपूíत नहीं हो पा रही। ऐसे में चिकित्सक भी क्या करें? मुख्य चिकित्साधिकारी ने ठंड शुरू होते ही लेंस खरीद को टेंडर प्रक्रिया शुरू करा दी थी। ठंड बीतने को है, लेकिन मंडलीय जिला चिकित्सालय में लेंस उपलब्ध नहीं हो सका है। आंख से संबंधित दवाएं भी भरपूर उपलब्ध नहीं हैं। चिकित्सक बाहर से दवाएं लिखने को मजबूर हैं।
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दो दर्जन से अधिक पहुंचते मोतियाबिद के मरीज
मंडलीय जिला चिकित्सालय में मोतियाबिद के इलाज व आपरेशन के लिए प्रतिदिन लगभग दो दर्जन से अधिक मरीज आते हैं। चिकित्सक ठंड के मौसम में आपरेशन की सलाह दे देते हैं। उनके कहे मुताबिक ठंड के मौसम में इलाज को पहुंचने वालों की तादाद ज्यादा रहती है। चिकित्सक लेंस न होने की बात कहते हुए हाथ खड़े करते हुए बाहर से खरीदने की सलाह देते हैं।
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तीन से पांच हजार रुपये का लेंस
बाजार में लेंस तीन हजार रुपये से पांच हजार रुपये में उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल में निश्शुल्क लेंस का प्रत्यारोपण हो जाता है। इससे गरीब तबके के मरीजों को खासा परेशानी उठानी पड़ रही है।
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दो वर्ष से नहीं मिला लेंस
मंडलीय जिला चिकित्सालय में दो वर्ष से लेंस नहीं मिला। पिछले वर्ष लेंस के इंतजार में सर्दी बीत गई। अबकी ठंड का मौसम जाने वाला है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया चल रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञों ने बताया कि दो वर्ष से लेंस उपलब्ध नहीं कराया गया।
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वर्जन----
टेंडर प्रक्रिया चल रही है। सीडीओ अध्यक्ष हैं, उनके यहां हस्ताक्षर को फाइल गई है। जल्द ही लेंस उपलब्ध हो जाएगा।
डा. एके मिश्र, सीएमओ आजमगढ़।