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नागरिकमा संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग

जासं आजमगढ़ देश में नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग को ले गुरुवार को संविधान बचाओ मोर्चा के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। संगठन के अध्यक्ष गुफरान अहमद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधयक 2019 पास होकर अधिनियम बन चुका है। यह भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना के विरूद्ध है। जिसमें तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान बांगलादेश व अफगानिस्तान से हिदू सिख बौद्ध पारसी जैन व इसाई समुदाय के प्रताडित लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। जबकि संविधान के आधार पर किसी भी इंसान के साथ भेद-भाव को प्रतिबंधित करता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 06:13 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 06:13 PM (IST)
नागरिकमा संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग
नागरिकमा संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग

जासं, आजमगढ़ : देश में नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त कराने को संविधान बचाओ मोर्चा के पदाधिकारियों ने गुरुवार को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। संगठन के अध्यक्ष गुफरान अहमद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पास होकर अधिनियम बन चुका है। यह भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना के विरूद्ध है। तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांगलादेश व अफगानिस्तान से हिदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन व इसाई समुदाय के प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। जबकि संविधान के आधार पर किसी भी इंसान के साथ भेद-भाव को प्रतिबंधित करता है। मुसलमानों सहित कई अल्पसंख्यक इसके खिलाफ है। इसमें श्रीलंका के तमिल व तिब्बती, पाकिस्तान के अहमदी समुदाय के लोगों को नागरिकता न देने का प्रावधान, समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। अब्दुलगनी, महमाब आलम, कामरान व महताब आलम आदि उपस्थित थे।

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