कोरोना से सुरक्षा का कवच है हवन
आजमगढ़ पूरी दुनिया के लिए चुनौती बने कोरोना से मुक्ति के नित नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। धर्म-कर्म से जुड़े लोगों ने भी रास्ता निकाल लिया है। डीएवी कालेज के प्रवक्ता एवं आर्य समाज से जुड़े डा. पियूष श्रीवास्तव कहते हैं कि कुछ खास सामग्री से अगर हर दिन हवन किया जाए तो पांच किमी परिधि में कोरोना का खतरा टल सकता है। उन्होंने कई पुस्तकों का उदाहरण देते हुए कहा कि यज्ञ से सरल कोई चिकित्सा पद्धति नहीं है। देशी घी व विभिन्न रोगनाशक औषधियों से नित्य हवन करके अपने घर के आसपास दो से पांच किमी क्षेत्र को सैनिटाइज किया जा सकता है। हवन से फोर्मल्डीहाइड गैस निकलती है जो मनुष्य के लिए उपयोगी होती है। अग्निहोत्र से उत्पन्न होने वाली गैस सैकड़ों हजारों वर्गमीटर क्षेत्र में फैली प्रदूषित रोगोत्पादक विषैली कीटाणुयुक्त वायु को विशुद्ध कर देती है। यह वैज्ञानिक
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कोरोना से मुक्ति के नित नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। डीएवी कालेज के प्रवक्ता एवं आर्य समाज से जुड़े डॉ. पीयूष श्रीवास्तव कहते हैं कि कुछ खास सामग्री से रोजाना हवन किया जाए तो पांच किमी. परिधि में कोरोना का खतरा टल सकता है। उन्होंने कई पुस्तकों का उदाहरण देते हुए कहा कि यज्ञ से सरल कोई चिकित्सा पद्धति नहीं है।
देशी घी व विभिन्न रोगनाशक औषधियों से नित्य हवन करके अपने घर के आसपास के क्षेत्र को सैनिटाइज किया जा सकता है। हवन से फोर्मल्डीहाइड गैस निकलती है जो मनुष्य के लिए उपयोगी होती है। अग्निहोत्र से उत्पन्न होने वाली गैस सैकड़ों हजारों वर्गमीटर क्षेत्र में फैली प्रदूषित रोगोत्पादक विषैली कीटाणुयुक्त वायु को विशुद्ध कर देती है। यह वैज्ञानिक प्रक्रिया सृष्टि के आदि से धरती पर चली आ रही है। हवन की अग्नि में गाय अथवा भैंस का घी, केसर, जायफल, जावित्री आदि रोगनाशक सामग्रियों में सूक्ष्मीकृत परमाणु मिले होते हैं। औषधियों के विरल परमाणु ही रोगों को नष्ट करते हैं। उन्होंने कहा कि कई देशों में हवन के महत्व को स्वीकार किया गया है। फ्रांस के वैज्ञानिक प्रो. टिलवर्ट कहते हैं कि देशी घी व शक्कर जलाने से उत्पन्न धुएं में पर्यावरण शोधन की विचित्र शक्ति है। इससे क्षय रोग, चेचक के कीटाणुओं का नाश होता है।